Book Title: Dharmveer Mahavir aur Karmveer Krushna
Author(s): Sukhlal Sanghavi
Publisher: Aatmjagruti Karyalay

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Page 9
________________ सम्बन्धमें परस्पर विरोधी अनेक कल्पनाएँ फैल रही हैं। इतना होने पर भी प्रजाके मानसमें राम और कृष्णका व्यक्तित्व इतना अधिक व्यापक और गहरा अंकित है कि प्रजाके विचारसे तो ये दोनों महान् पुरुष सने ऐतिहासिक ही हैं । विद्वान् और संशोधक लोग उनकी ऐतिहासिकताके विषयमें भले ही वादविवाद और ऊहापोह किया करें, उसका परिणाम भले ही कुछ भी हो, फिर भी जनताके हृदय पर इनके व्यक्तित्वकी जो छाप बैठी हुई है, उसे देखते हुए तो यह कहना ही पड़ता है कि ये दोनों महापुरुष जनताके हृदयके हार हैं। इस प्रकार विचार करनेसे प्रतीत होता है कि आर्यप्रजामें मनुष्य के रूपमें पुजने वाले चार ही पुरुष हमारे सामने उपस्थित होते हैं और आर्यधर्मकी वैदिक, जैन और बौद्ध तीनों शाखाओंके पूज्य पुरुष उक्त चार ही हैं । यही चारों पुरुष भिन्नभिन्न प्रान्तोंमें, मिक भिन्न जातियों में, भिन्नभिन्न रूपसे पूजे जाते हैं। चारोंकी संक्षिप्त तुलना। राम और कृष्ण एवं महावीर और बुद्ध ये दोनों युगल कहिले या चारों महान् पुरुष कहिए, क्षत्रिय जातीय हैं। चारोंके जन्मस्थान उत्तर-भारतमें हैं और सिवाय रामचन्द्रजीके, किसीका भी प्रवृत्ति क्षेत्र दक्षिण भारत नहीं बना। राम और कृष्णका श्रादर्श एक प्रकारका है, और महावीर तथा बुद्धका दूसरे प्रकारका । वैदिकसूत्र और स्मृतियों में वर्णित वर्णाश्रम धर्मके अनुसार राज्यशासन करना, गोब्राह्मणका प्रतिपालन करना उसीके अनुसार न्याय अन्यायका निर्णय करना और इसी प्रकार न्यायका राज्य स्थापित करना यह राम और कृष्णके उपलब्ध जीवन Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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