Book Title: Dharmveer Mahavir aur Karmveer Krushna
Author(s): Sukhlal Sanghavi
Publisher: Aatmjagruti Karyalay

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Page 15
________________ ( ११ ) को किसी भी प्राचीन या अर्वाचीन ब्राह्मण प्रन्थमें स्थान प्राप्त नहीं होता । यहाँ विशेषरूपसे ध्यान आकर्षित करनेवाली बात तो यह है कि महावीरके नाम या जीवनवृत्तान्तका कुछ भी निर्देश ब्राह्मणसाहित्य में नहीं है, फिर भी भागवत जैसे लोकप्रिय ग्रन्थमें जैनसम्प्रदायके पूज्य और अति प्राचीन माने जानेवाले प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेवकी कथाने संक्षिप्त होने पर भी मार्मिक और पादरणीय स्थान पाया है। ODE तुलना। . (इस तुलनामें, जिन शब्दोंको मोटे टाइपमें दिया गया, उन पर भाष और भावकी समानता देखने के लिये पाठकों को खास लक्ष्य देना चा. दिये। ऐसा करनेसे भागेका विवेचन स्पष्ट रूपमें समझा जा सकेगा।) गर्भहरण-घटना। महावीर । कृष्ण । जम्बूद्वीपके मरनक्षेत्रमें ब्राह्मणकुंड । असुरोंका उपद्रव मिटानेके लिये मामक ग्राम था। उसमें बसने वाले देवोंकी प्रार्थनासे विष्णुने अवधार ऋषभदन मामक मामणकी देवानमा लेनेका निश्चय करके योगमाया नामकी बीके गर्भ में नन्दन मुनिका | नामक अपनी शक्तिको बुलाया। जीव दसर्व देवलोकसे व्युत होकर | उसको संबोधन करके विष्णुने कहा . किसी भी दिगम्बर सम्प्रदायके ग्रंथमें, महावीरके जीवन में इस घटनाका उलम्ब नहीं है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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