Book Title: Dharmveer Mahavir aur Karmveer Krushna
Author(s): Sukhlal Sanghavi
Publisher: Aatmjagruti Karyalay

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Page 36
________________ ( ३२ ) - आगम ग्रंथों एवं नियुक्तिमें इस घटनाका कुछ भी उल्लेख नहीं है, अतएव यह तो कहा ही नहीं जा सकता कि पउमचरियके कर्ता ने वहाँ से इसे लिया है । तब यह घटना आई कहाँ से ? यद्यपि पउमचरियका रचना-समय पहली शताब्दी निर्देश किया गया है, फिर भी कुछ कारणोंसे इस समयमें भ्रम जान पड़ता है । ऐसा मा. लूम होता है कि पउमचरिय ब्राह्मण पद्मपुराणके बादकी कृति है। पाँचवीं शताब्दीसे पूर्वके होनेकी बहुत ही कम संभावना है । चाहे जो हो, परन्तु अंग और नियुक्ति आदिमें सूचित न की हुई मेरुकम्पनकी घटना पउमचरियमें कहाँ से आई ? यह प्रश्न तो कायम ही रहता है। - यदि पउमचरियके करौके पास इस घटनाका उल्लेख करनेवालाअधिक प्राचीन कोई ग्रंथ होता और उसी के आधारपर उसने इसका उल्लेख किया होता तो शायद ही नियुक्ति और भाष्यमें इसका उल्लेख होनेसे रह सकता था । अतएव कहना चाहिए कि यह घटना कहीं बाहरसे पउमचरियमें आघुसी है । दूसरी ओर हरिवंश आदि ब्राह्मणपुराणों में फलद्रप पौराणिक कल्पनामेंसे जन्मी हुई गोवर्धनको तोलनेकी घटनाका उल्लेख प्राचीनकालसे मिलता है। पौराणिक अवतार कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वतका तोलन और जैन तीर्थकर महावीर द्वारा सुमेरु पर्वतका कम्पन, इन दोनोंमें इतनी - धिक समानता है कि कोई भी एक कल्पना, दूसरीपर अवलम्बित है। __हम देख चुके हैं कि आगम-नियुक्ति ग्रंथों में, जिनमें कि गर्भसंक्रमण सरीखे असंभव प्रतीत होने होने वाले वर्णनोंका उल्लेख है, उनमें भी सुमेरूकम्पनका संकेत तक नहीं है । किसी प्राचीन जैन परम्परामें से पउमचरियमें इस घटनाके लिए जानेकी बहुत कम Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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