Book Title: Dharmveer Mahavir aur Karmveer Krushna
Author(s): Sukhlal Sanghavi
Publisher: Aatmjagruti Karyalay

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Page 41
________________ ( ३७ ) | ५१, पृ० ४५८-४६१ (४) कृष्णकी बाललीला और | (४) ब्राह्मण पुराणोंमें कंस द्वारा कुमारलीलामें जितने भी असुर कंस | भेजे हुए जो असुर आते हैं वे असुर, के द्वारा भेजे हुए आये और उन्होंने | जिनसेनके हरिवंशपुराणके अनुसार कृष्णको, बलभद्रको या गोपगोपियों | कंस द्वारा पूर्व जन्म में साधी हुई को सताया है, करीब करीब वे त- | देवियाँ हैं । ये देवियाँ जब कृष्ण, माम असुर, कृष्णके द्वारा या कभी- | बलभद्र या ब्रजवासियोंको सताती कभी बलभद्र के द्वारा मार डाले गए हैं तब वे कृष्णके द्वारा मारा नहा जातीं वरन् कृष्ण उन्हें हराकर जीती -भागवत स्कंध १०, ० ५- ही भगा देते हैं। हेमचन्द्र के (त्रिषष्ठि० ८, पृ०८१४ सर्ग ५ श्लो, १२३-१२५) वर्णनके अनुसार कृष्ण, बलभद्र और ब्रजवासियोंको सतानेवाली देवियाँ नहीं वरन् कंसके पाले हुए उन्मत्त प्राणी हैं । कृष्ण उनकाभी बध नहीं करते किन्तु दयालु जैनकी भाँति पराक्रमी होने परभी कोमल हाथसे इन कंसप्रेरित उपद्रवी प्राणियों को हराकर भगा देते हैं। -हरिवंश, सर्ग ३५ श्लो, ३५. ५० पृ० ३६६-३६७ (५) नसिंह विष्णुका एक भव- (५) कृष्ण यद्यपि भविष्यकालीन तार है और कृष्ण तथा बलभद्र दोनों तीर्थकर होनेके कारण मोक्षगामी विष्णुके अंश होने के कारण सदामुक्त है किन्तु इस समय युद्धके फलस्वरूप हैं और विष्णुधाम स्वर्गमें विद्यमान | चे भरकमें निवास करते हैं और बल | भद्र जैनदीक्षा लेने के कारण स्वर्ग गए Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ___www.umaragyanbhandar.com

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