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शील रास
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जिन शासन धन जाणिय, आगर धरम रतन नौ एह कि । ब्रह्मचारी हुआ बड वडा, त्रिकरण शुद्ध प्रणमीजै तेह कि ।६३। वरते बीकानेर मे विजयहरप जसु लील विलास कि । धुरि ध्यायौ धर्म ध्यान नौ, श्री धर्मसीह रच्यो शीलरास कि ।६४
इति श्री शीलरास सम्पूर्णम् । सवत् १७७७ वर्षे मिती फागुण सुदि २ दिने श्री विक्रमपुर मध्ये
पडित सुखरत्ननलिपी कृत । ( पत्र ३ जयचदजी भंडार)