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(१६) प्र० - इस समय विज्ञान प्रबल प्रमाण समझा जाता है. इस लिये यह बतलाइये कि क्या कोई ऐसे भी वैज्ञानिक हैं जो विज्ञान के आधार पर जीव को स्वतन्त्र तत्र मानते हों ?
उ०-हाँ, उदाहरणार्थ मर 'ओलीवरलाज' जो यूरोप के एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक हैं और कलकत्ते के 'जंगदीशचन्द्र वसु, जो कि संसार भर में प्रसिद्ध वैज्ञानिक हैं । उन के प्रयोग व कथनों से स्वतन्त्र चेतन तत्त्व तथा पुनर्जन्म आदि की सिद्धि में सन्देह नहीं रहता । अमेरिका आदि में और भी ऐसे अनेक विद्वान हैं, जिन्हों ने परलोकगत आत्माओं के सम्बन्ध में बहुत कुछ जानने लायक खोज की है । (२०) प्र० - जीव के अस्तित्व के विषय में अपने को किस सबूत पर भरोसा करना चाहिए ?
उ०- अत्यन्त एकाग्रतापूर्वक चिरकाल तक आत्मा का ही मनन करनेवाले निःस्वार्थ ऋषियों के वचन पर, तथा स्वानुभव पर ।
(२१) प्र० - ऐसा अनुभव किस तरह प्राप्त हो सकता हैं ? उ०- चित्त को शुद्ध कर के एकाग्रतापूर्वक विचार व मनन करने से |
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देखा-आत्मानन्द-जैन- पुस्तक - प्रचारक-मण्डल आगरा द्वारा प्रकाशित हिन्दी प्रथम "कर्मग्रन्थ " की प्रस्तावना पृ० ३८ ॥
$ देखो - हिन्दी ग्रन्थरत्नाकर कार्यालय, मुंबई द्वारा प्रकाशित 'छायादर्शन'