Book Title: Devki Putra Charitram
Author(s): Shubhvardhan Gani
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 6
________________ देवकी स्वपदरजीवत्त्यक्त्वा / धनकोटिं लीलयैव ते कुमराः // श्रीमन्नेमिजिनेंद्रां-तिके ललुर्भावतो दीक्षा 150 अर्थः-पछी ते कुमारोए पोताना पगनी रजपेठे कोडोगमे धन तजीने श्रीमान् नेमिप्रभुपासे भावथी दीक्षा लीधी. घोरमभिग्रहमेवं / जगृहुस्तस्मिन् दिने विभोः पावें // आजन्मावधि कार्य / षष्ठं तपोऽस्माभिरनुबंधात् In अर्थ:-तेज दिवसे तेओए प्रभुपासे एवो तिव्र अभिग्रह लीधो के, निश्चयपूर्वक अमो छेक जीवनपर्यंत छठनो की क तप करीशु. // 16 // क पठित चतुर्दशपूर्वाः / क्रमेण ते नेमिभगवता साधे // चर्बिहारमनिशं / प्रशमरसाापूर्णतरहृदयाः / अर्थी अनुक्रमे करेल छे चौदै पूर्वोनो अभ्यास जेओए, तथा अतिशांतरसथी भरेला हृदयवाळा एवा ते छए मुनिराजो हमेशां श्रीनेमिनाथप्रभुसाथे विहार करता हता. // 17 // H सहविहरन्नई-न्नेमिगिरिनारगिरिमहोयानं / अन्येारलंचक्रे / सुरकोटोवंदितपदाब्जः // 18 // fol अर्थ:-एक दिवसे फोटोगमें देवोथी वंदायेला छे चरणकमलो जेमना, एवा ते श्रीनेमिनाथप्रभु ते 'छए, मुनिNo ओसहित विचरताथका गिरनारपर्वतमा महान् उद्यानने शोभाववा लाग्या. // 18 // श्रीनेमेरागमनं / तद्वनपालान्निशम्य गोविंदः // सानंदः समवमृति / समागमत्स्फारविस्तारः // 19 // ESERSITESessele A Jun Gun Aarache ratnasur MS Maha hai ........

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