Book Title: Devki Putra Charitram Author(s): Shubhvardhan Gani Publisher: Shravak Hiralal Hansraj View full book textPage 8
________________ बारिका नगरीमते विधिपूर्वक चालवा लाग्या. // 23 // .... तत्रोच्चनीचगेहा-न्यटन्नथाचं मुनीशयुग्मं तत् // भाग्यवशायेवक्या / गेहांगणमागतं सहसा // 24 // ___अर्थः-हवे तेओमान वे मुनिभोर्नु पहेलं जोड़े, त्या उचनीच घरोमां भमतु थकुं अचानक भाग्ययोगे देवकीना घरना आंगणामां आव्यु.॥२४॥ .. . हरिजननी स्वसखीयुक् / भद्रासनसंस्थिता विवेकज्ञा // मुनियुगमालोक्येतद् / दधावतिप्रेम भक्तिं च 25 अर्थ:-ते वखते पोतानी सखीओ साथे सिंहासनपर बेठेली, तथा विवेकने जाणनारी कृष्णनी माता दे ते मुनियुग्मने जोइने अत्यंत प्रेम अने भक्तिने धारण करवा लागी. // 25 // दत्वा प्रदक्षिणांव-दतिस्म साभिमुखमेत्य मुनियुगलं ॥प्रतिलाभयतिस्म पुनः / सुस्निग्धैमोदकैर्मुदिता / अर्थ:-पछी ते देवकीजीए ते मुनियुगलने प्रदक्षिणा देइने, तथा सन्मुख आवीने बांधा, अने आनंद पामीने तेओने खुब पृतथी भरेला मोदकोबडे प्रसिलाभ्या // 26 // Jio मुनियुग्मपरं तस्मिन् / गते समागात्तदैव देवक्याः // गेहे सदृशाकारं / पूर्वागतमुनियुगस्य पुनः // 27 // अर्थ:- मुनिओनुं ते युग्म गयावाद, बळी तेज समये पूर्व आवेला ते मुनिसरखाज आकारवाळु मुनिओ की EEEEEEEEEE 1 Dhirathasuli M.S. Jun Gun Aaradh Mytoloitatio . . . ....... LaaliNDARHINNARPage Navigation
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