Book Title: Devki Putra Charitram
Author(s): Shubhvardhan Gani
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ 39 देवकीपुत्र के विष्णो शृणु यस्त्वांकिल।विशंतमालोक्य निजपुरी नूनं ॥मृत्युमाप्स्यति सिरसः। स्फोटा दुर्ध्वस्थ एव भयात् / चरित्रम् ..... अर्थः-हे .कृष्ण तमो सांभको ? जे माणस खरेखर तमोने, तमारी नगरीमा प्रवेश करता जोहने भयथी की " मस्तक फूटी जवाथी उभो उभोज मृत्यु पामशे, // 13 // निकोपचेतसासौ / बंधूपद्रवकरः स विज्ञेयः // भवतैवं श्रुत्वाह-द्वाक्यं निसंशयं मन्वन् // 54 // ___ अर्थः-तेने तारे तारा भाइने उपद्रव करनारी जाणवो, परंतु तारे तेनापर कोप करवो नहीं एरीतर्नु प्रभुनु Iin वचन सांभळीने ते वचनने ते संदेहरहित मानवा लाग्या. // 54 // .. . नवेशं प्रावर्तत / गंतुं स्वपुरी जनार्दनः सद्यः / सोमिलभट्टस्ताव-दध्याविति गृहगतः प्रातः // 55 // अर्थः-पछी श्रीकृष्ण प्रभुने वांदीने तुरत पोतानी नगरीप्रते जवा लाग्या, हवे एवामा ते सोमिलभट्ट घेर जइने , TEEecesseeeeeese SCCCCCCCESSOCCEE ol हा श्रीनेमि नंतुं / गतोऽस्ति संप्रति हरिस्तत्र / कथितं सर्वविदामे / भाव्येतत्कर्म खलु नियं // 56 // ___ अर्थ:-अरेरे ! हमणाज श्रीकृष्ण श्रीनेमिनाथप्रभुने चांदवाने त्या समवसरणमां गया छे, अने ते सर्वज्ञप्रभु की खरेखर आ माझं दुराचरण तमने कही देशे. ABJunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradh

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