Book Title: Devki Putra Charitram
Author(s): Shubhvardhan Gani
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ क चरित्रम् वखते श्रीकृष्णे सर्व स्वजनोने बोलाव्या, // 12 // 0 अभिषेकविधि कृत्वा / बन्धो राज्ये निवेशनं चक्रे // महता महेन विष्णुः / प्रीतः संगीतविधिपूर्व // 13nal : अर्थ:-पछी श्रीकृष्ण आनंदित थइने महोटा उत्सवपूर्वक ते भाइनो अभिषेकविधि करीने, संगीतोना नादस- ID हित तेमने राज्यासने बेसाडवानी क्रिया करी. // 13 // ! प्रातर्दिने द्वितीये / गजसुकुमालः समग्रबन्धुजनं // संतोष्यवं हरिकृत-महपूर्व नेमिजिनपावे // 14 // क गत्वाथपंचमौष्टिक-लोचं कृत्वाग्रहीद व्रतं विधिना // अनुमोदनां वितन्वं-स्ततो हरिः प्राप निजभवनं // - अर्थः-एरीते सर्व स्वजनोने खुशी करीने बीजे दिवसे प्रभातमां ते गजसुकुमाले श्रीकृष्ण करेला महोत्सवपूर्वक श्रीनेमिप्रभुपासे जइने, तथा पंचमुष्टि लोच करीने विधिपूर्वक चारित्र ग्रहण कयु. पछी श्रीकृष्ण तेमनी अनुमोदना करताथका: पोताने घेर गया. // युग्मं / / .. श्रीमन्नेमिजिनेंद्रं / गजसुकुमालं मुनि प्रणम्याथ // वसुदेवाया पितरः / प्रापुगेंहं मुदितचित्ताः // 16 // o अर्थः पछी वसुदेवादिक पितृवर्ग श्रीमान् नेमीश्वरप्रभुने, तथा गजसुकुमाल मुनिने वांदीने मनमां आनंद के पामतोधको घेर गयो.॥१६॥.. .. .. ... ...., RECCESSESSIS Qeee SCCCCCE Jun Gun Aaradhi SunratnasuriM.S.

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