Book Title: Devki Putra Charitram
Author(s): Shubhvardhan Gani
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 32
________________ परिचय // 31 // देवकीपुत्र के मुनिशोंडीरः स्थंडिल-भूमि प्रतिलिख्य तत्र तस्थौ द्रार // मेरुगिरिस्थिरचित्तः / कायोत्सर्गे क्षमागारः ___ अर्थ:-मुनिओमां महाशरवीर, मेरुपर्वतनी पेठे स्थिर मनवाळा, तथा क्षमाना भंडारसरखा ते मुनि त्यां शुद्ध भूमिप्रतिलेखिने कायोत्सर्गध्यानमा रया. // 21 // . . नासान्यस्ताक्षयुगः / स्वजानुलंबितभुजद्वयः स्वमनः // संस्थाप्य स्थिरमात्मनि / यावत्तस्थौ स मुनिराजः। ol अर्थः-नाशिकातरफ राखेल छे बन्ने चक्षुओ जेमणे, पोताना घुटणसुधी लंबावेल के बन्ने हाथ जेओए एवा के ते गजसुकुमालमुनिराज आत्मामां मनने स्थिर राखीने जेवामा उभा छे, // 22 // . . तावत्समितकुशग्रह-हेतोः पुर्या विनिर्गतः पूर्व // तेनावना विकाले / सोमिलभट्टः स्फुट क्रोधी // 23 // ____ अर्थ-एयामा प्रथम संध्याकाळे ( यज्ञमाटे) काष्टो तथा दर्भ लेवामाटे ते सोमिलभ ते मार्गथी निकन्यो, अने प्रगटपणे क्रोधायमान थयो. // 23 // गजसुकुमालमुनीशं / प्रतिमास्थं दूरतो ददर्श ततः॥ उपलक्ष्य कोपकंप्रो / व्यचिंतयच्चैष मनसोति 24 ___ अर्थ:-पछी कायोत्सर्गध्यानमा रहेला ते गजसुकुमालमुनींद्रने तेणे दूरथी जोया, अने ओळख्यावाद क्रोधी 10 कंपतोथको ते ब्राह्मण पोताना मनमा एम चितववा लाग्यो के, // 24 // еееееееееееееееее आCeeeeeeeeeee unpatnasur M.S. Jun Gun Aaradnak DM

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