Book Title: Devki Putra Charitram
Author(s): Shubhvardhan Gani
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 36
________________ // 35 // देवकीपुत्र अतिकृशदेहं जैरयां / जीण कैचिन्नरं ददर्श पथि / / महदिष्टिकाभरेण-श्वासभरव्याचमुखविवरं // 37 // चरित्रम् ... अर्थ:-एवामा ते श्रीकृष्णे मार्गमा अति कृशशरीरवाळा, जराथी जर्जरीत धयेला, तथा (पोते उपाडेला) इंटोना / महोटा समूहथी चडेला श्वासनेलीधे खुल्लुं थइ गयेलं छे मुखरूपी विवर जैनु, एवा कोइक पुरुषने जोयो. // 7 // एकेकामादाये-ष्टिकां पतंती ततः स्खलत्पादः // श्रांतोऽसौ च निषण्णः / पथ्येव तद्भारमुन्मुच्य // 38 // ___ अर्थ-पछी पंगै लथडवाथी पंडीजती एककी इंटने लेतीथको थाकी जवाथी ते पुरुष मार्गमाज ते इंटोसो भारो मूकीने बेसी गयी.॥३४ | संजातकृपस्तं प्रति / श्रीमान् पुरुषोत्तमः स्वहस्तेन // लात्वेष्टिकां मुमोच / क्षिप्रं गेहांगणे तस्य // 39 // अर्थ-वारे तैनापर दया आँववाथी श्रीमान् कृष्ण पीताने हाथे तेमाथी एक ईंट लेडने तुरत ते पुरुषना घरना Iol युगपत्सर्वेऽपिजना / मुमुचुस्ता इष्टिकास्ततो हृष्टाः // एकैको तावदगा-निष्टां द्रागिष्टिकाराशिः // 40 // 0 अर्थ-पछी कृष्णनी (साथ चालता) सर्व माणसोए खुशी पहने एकीहारे लेनी एकेकी इंट उपाठीने ते माणसना ऑगणामां मूकीदीधी, अने एरीते ते इंटोनी इगलो सुरतज खलास यह गयो.॥४७॥ unratnasur MS BRREBEEEEEEEEE GeE332399beeele Jun Gun Aaradhu

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