Book Title: Devki Putra Charitram
Author(s): Shubhvardhan Gani
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ चरित्रम 12 // In अर्थ:-मथुरानगरीमां निवास करतीवेळाए दुष्टहृदयवाळा अने क्रूर एवा कंसे विनाश करवामाटे तमारा सात lol देवकीपुत्र गर्भो मागी लीधा हता. // 44 // // 12 // 10 गर्भिण्यौ भवतःस्म / युगपत्सुलसां त्वं च सुरमहिम्ना // अप्रतिहता सुराणां / केनापि क्वापि शक्तिरहो // a अर्थ:-पछी ते देवना माहात्म्यथी सुलसाए अने तमोए एकीवेळाए गर्भने धारण कर्या. अहो ! देवनी शक्तिने क्यांये कोइ पण अटकावी शकतो नथी. // 45 // / युगपर्जनयामासतु-रथ सुतयुगलं युवां ततो देवः // तव जातमात्रमंगज-युगं मुमोचाशु सुलसांके // __ अर्थः--पछी तमो बन्नेए एकीवेळाएज बबे पुत्रोने जन्म आप्या. त्यारे ते हरिणैगमेषी देवे तमारा बन्ने पुत्रोने जन्मतीवेळायेज तुरत सुलसाना खोळामां मेली दीधा. // 46 // मृतगर्भकंन्यधत्त / त्वदीयगेहे तथैव सुलसायाः // न विवेद कोऽपि किंचि-द्वयत्ययमेनं कदापि जनः // on अर्थ:-वळी ते देवे तेवीजरीते सुलसाना मृत्यु पामेला बालकने तारे धेर मूकी दीधा, आ फेरफारने को पण माणसे कोई पण दिवसे पण केईपण जाण्यो नथी. // 47 // त्वत्पुत्रास्ते देवकि ! सहोदराः षडपि न व्यजलदरुचः // वृद्धिं प्रापुः सुलसा-नागगृहे दिव्यतररूपाः // aacassaacaa SCENE Jun Gun Aaradh MusianratnasuriM.S....

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41