Book Title: Devki Putra Charitram
Author(s): Shubhvardhan Gani
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ 25 // देवकीपुत्र | अर्थ:-हे स्वामि ! मातापिता तथा श्रीकृष्णआदिक स्वजनोनी रजा लेइने जेटलामा हुं व्रत लेवामाटे पाछो चरित्रम् आयुं, त्यांसुधी आपसाहेबे अहींज रहे. // 97 // MD गजसुकुमालश्चवं / स्वामिनमानम्य गेहमागत्य // नत्वापित्रावेवं / नियोज्य पाणी च वदतिस्म // 98 // 6 // ___ अर्थः-एम (कहीने ) ते गजसुकुमाल प्रभुने वांदीने, तथा घेर आवीने, अने मातापिताने नमीने, हाथ जोडी * एम कहेवा लाग्या के, // 98 // सद्यः प्रदीयतां मे-ऽनुमति पितरौ प्रसादमाधाय // गृह्णाम्यहं तपस्यां / यतश्च श्रीनेमिजिनपावें // 19 // अर्थ:-हे मातापिताजी कृपा करीने मने तुरत अनुज्ञा आपों ? के जेथी हुँ श्रीनेमिनाथप्रभुपासे दीक्षा लेउ.॥ श्रुत्वैतत्पुत्रवचो / वियोगवनवृद्धिजलधरप्रतिमं // अंतः खेदममंदं / दधतीदं देवकी प्राह // 10 // ___ अर्थ:-वियोगरूपी वननी वृद्धि करवामां मेघसरखां, एरीतनां पुत्रना वचनने सांभळीने मना अत्यंत खेदने धारण करतांथकां देवकीजी एम बोल्यां के, // 10 // ID गुणरत्नाकर निजकुल-कमलदिवाकर वरेण्य रूपभर // पित्रोभक्तोऽपि भवान् / किमीदृशं वक्तिरुक्षवचः I ... अर्थ:-हे गुणोना महासागर ! हे आपणा कुलरूपी कमलने विकस्वर करवामां सूर्यसरखा ! तथा हे उत्तम I ntalnasuri MS Jun Gun Kanada SECCCCCCCCCCCCCES areCCCESeetSSESEI A u tomodinakM anuMAILatestrianaravaadanita............. AAN neinindmeritaithalive

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