Book Title: Devki Putra Charitram
Author(s): Shubhvardhan Gani
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ मारकाधारल्याचा MO.94 - अर्थ-(इंद्रियोना) विषयो किंपाकफलसरखा छे, शरीरनी शोभा क्षणभंगुर छे, लक्ष्मी निष्फल छे, स्वजनोना सर्व संयोगो भविष्यमां वियोगवाळा छे. // 93 // संसारे भ्रांतिरहो / विषमं कर्मात्मनेव भोक्तव्यं // इति मोक्षसुखावाप्तौ / स्पष्टं कुरुतोद्यम भव्याः 94 / / I.. अर्थः-अहो ! संसारमा केवल भ्रांतिज छे, विषम कर्म आत्मानेज भोगवg पडे छे, माटे हे भव्यजनो। मोक्षसुख मेळववामाटे तमो स्पष्टपणे उद्यम करो. // 14 // भावितचित्ताः सर्वे / सभाजना जिनवरोपदेशेन // जाताः संतो निजनिज-निलयमगुर्गलित भवरागाः // अर्थ:-(ए रीतना) प्रभुना उपदेशवडे करीने भावित हृदयवाळा, तथा संसारथी वैराग्य पाम्याथका सभाना लोको पोतपोताने घेर गया. // 15 // चारित्रमोहनीय-क्षयेण सविशेषमेषु बुद्धात्मा // गंजसुकुमालोऽर्हतं / नत्वैवं विज्ञपयतिस्म // 96 // अर्थ:-तेओमां विशेषपणे प्रतिबोध पमेलो छे आत्मा जेनो, एवो गजसुकुमाल चारित्रमोहनीय कर्मना क्षयथी प्रभुने चांदीने एम विनववा लाग्यो के, // 96 // मातृपितृशौरिमु-ख्यान् स्वजनानाएछय यावदायामि व्रतमादातुं तावत् / स्थातव्यमिह स्वया स्वामिन का SESSISCCCCCESS CCESTE पाराम NaID

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