Book Title: Devki Putra Charitram
Author(s): Shubhvardhan Gani
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ चरित्रम् // 15 // ...अर्थः-आ छ पुत्रोनी उपर अर्ध भरतखंडनो स्वामी जे कृष्णनामनो मने पुत्र थयो, ते पण अरेरे ! नंद अने देवकापुत्र यशोदाने घेर म्होटों थयो. // 56 // 15 // तन्मन्ये सा धन्या / सुलब्धनिजजनिफलाखिलस्त्रीषु // याऽपत्यानि निजानि / स्वयं प्रमोदेन लालयति D अर्थ:-माटे हुँ एम मार्नु छ के, जे स्त्री पोताना संतानोने पोते आनंदथी रमाडे छे, तेज धन्य छे, अने तेणीएज सर्व स्त्रीओमां पोताना जीवन- फल सारीरीते मेळव्युं छे. // 5 // - अहमस्मि तास्वधन्या। यया मया लालितः सुतो नैकः // एवं चिंतादूना / सा स्थाच्चक्षुर्गलबाष्पा 5-12 Jool अर्थः-हुं तो ते स्त्रीओमां निर्भागीछु, केमके जेणीए में एक पण पुत्र रमाड्यो नथी. ए रीते चिन्ताथी दुःखी थयेलां ते देवकीजीनी आंखोमाथी आंसुओ झरवा लाग्यां. // 58 // 100 जिष्णुस्तस्मिन् समये / सारपरीवारपरिवृतः श्रीमान् // सोत्कंठो गृहमागा-नतुं निजमातरं मुदितः 59 // अर्थ:-एवामां उत्तम परिवारथी घेरायेला श्रीमान् श्रीकृष्ण उत्कंठित थयाथका आनंद्र पामीने पोतानी माताने * नमवामाटे घेर आव्या. // 59 // मातुरवंदतपादौ / मृा भरतार्धभूपतिर्मुदितः / देवक्या दुःखादित-हृदा तदाज्ञायि न हि सोऽपि 60 INDunrainasuriM.S. Jun Gun Andrade

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