Book Title: Devki Putra Charitram
Author(s): Shubhvardhan Gani
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ R- अर्थः एरीते प्रिय वचनोथी पोतानी माताने आश्वासन आपीने, तथा आनंदित करीने ते हकीकतने ध्यानमा | देवकीपुत्रलेइते यशस्वी श्रीकृष्ण त्यांची (पोताना) मेहेलमां आव्या. // 64 // चरित्रम् // 17 // प्रातः स्नानं कृत्वा / स ततः सौधांतरात्मनः शुद्धः // कुशशय्याविनिविष्टो / ध्यानं चक्रेऽति हृष्टमनाः // - अर्थः-पछी प्रभातमा स्नान करी शुद्ध थइने ते श्रीकृष्ण पोताना मेहेलनी अंदर दर्भना संथारांपर बेसीने अतिआनंदित मनथी घ्यान धरवा लाग्या. // 65 // हरिनेगमेषिसुरवर-मुद्दिश्याष्टमतपश्च तन्वानः // ब्रह्मवतधृतचित्तः / पद्मासनसंस्थितः कृष्णः // 66 // lo अर्थ:-हरिनैगमेषी नामना उत्तम देवने उद्देशीने तेमणे अमनो तप कर्यो, तथा मनमां ब्रह्मचर्यव्रत धारण o करीने पद्मासन वारीने ते बेठा. // 66 // अथ कृष्णतपोभाग्या-कृष्टों हरिनगमेषिनामसुरः // अहनि तृतीये रात्रौ / प्रादुर्भूयेति वदतिस्म // 67 // * अर्थ:-पछी ते श्रीकृष्णना तप तथा भाग्यथी खेचायेलो ते हरिनैगमेषी देव श्रीजे दिवसे रात्रिए प्रगट थह तेमने कहेवा लाग्यों के, // 6 // विष्णो किमहं भवता / स्मृतोऽस्मि कि कार्यमार्यकास्ति तव // सद्यः कथय त्वं मे / जनार्दनाहं यथा कुर्वे mal BIGeeeeeeeeeeeeeeeea eacSEEDDESS CGeen Jun Gun Aaradi unatrasuri MS

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