Book Title: Devki Putra Charitram
Author(s): Shubhvardhan Gani
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
View full book text
________________ In अर्थ:-अर्ध भरतखंडना राजा श्रीकृष्णे आनंदपूर्वक पोताना मस्तकवडे माताना चरणोमां नमस्कार कर्यो, Io देवकीपुत्र के परंतु ते वखते दुःखथी पीडित हृदयवाळी देवकीजीने ते हकीकत ध्यानमा रही नहीं. // 6 // MP भूजानौ मयि राज्यं / मुंजाने केन निर्मितं दुःखं // मातस्तवेति विष्णुः / करौ नियोज्यावदजननीं // 6 // अर्थःत्यारे श्रीकृष्ण हाथ जोड़ीने (पोतानी) माताने कहेवा लाग्या के, हे माताजी! हुं राज्य करते छते आपने कोणे दुःख आप्यु छ ? // 61 // माताप्यवदन्निव-धे सति दुःखस्य कारणं तस्य // सामर्थ्य बिभ्राणो / भरतार्धपति हरिः प्राह // 6 // Iml. अर्थ:-आग्रहवडे पूछवाथी देवकीजीए (पोताना) ते दुःखनुं कारण कही संभळाव्युं त्यारे सामर्थ्यने धारण ID करनारा, तथा अर्ध भरतखंडना स्वामी श्रीकृष्ण बोल्या के, // 62 // माताहृदि दुःखं / वहविचरिष्याम्यहं तथा भावी // बंधुर्यथा लधीयान् / मम ते हर्षप्रपूरयिता // 6 // अर्थ:-हे माताजी! तमो हृदयमां खेद करो नहीं! हुं ए रीतनो कोइ उपाय करीश के जेथी मारो लघु ID बांधव तमारी अभिलाषा पूर्ण करनारो थशे. // 63 // प्रियवाक्यैराश्वास्य-त्युल्लास्य च मातरं निजां जिष्णुः ॥धृततध्यानः सौधं / ततः समागादथ यशस्वी SpeeeeeeeeeeDESE UBE bahrainasurs . Jun cin Aarad

Page Navigation
1 ... 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41