Book Title: Devki Putra Charitram
Author(s): Shubhvardhan Gani
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
View full book text
________________ डओ D ESSERE // देवकीपुत्र अर्थ:-हे देवकीजी! एरीते नवा मेघ सरखी कांतिवाळा, अने अतिदिव्य स्वरूपवाळा ते | तमारा पुत्री छे, अने सुलसा तथा नागश्रेष्ठिने घेर तेओ मोटा थया छे. // 48 // lo तारुण्ये द्वात्रिंशद् / द्वात्रिंशत्कन्यकास्ततस्ताभ्यां // परिणायिताश्च लब्धा-स्तन्मानाः स्वर्णकोटयश्च 49 का अर्थः-यौवनकाळे तेओने दरेकने तेओए यत्रीस बत्रीस कन्याओ परणावी, अने तेटलीज़ एटले यत्रीस ID मंत्रीस क्रोड सोनामोहोरो तेओने प्राप्त थइ. // 49 // IH अस्मद्देशनयाधिक-जातविवेकास्ततोभवविरक्ताः // षडपिललुस्ते दीक्षां / तृणवत् त्यक्त्वा विषयतृष्णां // अर्थः-पछी अमारी धर्मदेशनाथी वधारे विवेक उत्पन्न थवाथी ते छए भाइओए संसारथी विरक्त थइने, II तृणनीपेठे विषयोनी लालच तजीने दीक्षा लीधी.॥५०॥ .. षष्ठाभिग्रहवंतः। सदामुदा द्वादशांगधरणपराः // षडपि सुतास्तेऋषयो / ऽमीनिर्मल चरणकरणधराः // अर्थ:-पछी मुनि थयेला तमारा छए पुत्रो हमेशां हर्षथी छतपना अभिग्रहवाळा थयाथका द्वादशांगीना पारंगामी, तथा शुद्ध चरण करणने धरनारा थया. // 51 // त हरिजननी जिनवाक्यं / श्रुत्वा तान् पंक्तिसंस्थितानत्र // समवसृतावालोकत / तपोधनास्तीव्रतरतपसः॥ ICCESSEE keeeeeeeCES Jadse KAPratnasuri Ms. raminatantravasn a chalavani Jun Gun Aaradha t aranMAR mandanta masannaian

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41