Book Title: Devki Putra Charitram
Author(s): Shubhvardhan Gani
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ चरित्रम् ol अर्थः-वळी पूर्वे मने अतिमुक्त मुनिए कह्यु छे के, तारा छए पुत्रो जीवता छे. एमविचारीने ते देवकीजी प्रभुपासे आवीने, तथा तेमने वांदीने पूछवा लाग्यां के,॥ 40 // 1" स्वामिन् संशय एषः / ममेति संभाषितेऽनया स्वामी // साक्षाद् द्राक्षासहशी-मथावदत्कोमलां वाणी // - अर्थ:-हे स्वामी! (आ छए मुनिओना संबंधमां) मारा मनमां संदेह छे, एम देवकीजीए कहेवाथी प्रभु साक्षात् द्राक्षसरखी मधुरी वाणी बोल्या के, // 41 // BBeeeeeeeseED - अर्थ:-भदिलपुरनामना नगरमा नागनामना धनिकश्रेष्ठीनी सुलसानामे स्त्री छे, परंतु ते निंदु एटले मृतवत्सा छ, तेणीए भावपूर्वकहरिणैगमेषीदेवतुं आराधन कयु. // 42 // भृशमनुकंपावानपि / देवस्तस्याः सदैकचित्तायाः // जीवयितुं प्राग्भवघन-पापानालं ह्यपत्यानि // 43 // अर्थ:-हमेशां एकचित्तवाळी एवी ते सुलसाप्रते अत्यंत कृपाळु होवा छतां पण तेणीए पूर्वभवमा करेला कघणां पापोने लीधे खरेखर तेणीना संतानोने जीवाडवाने ते समर्थ थइ शक्यो नही. // 43 // गर्भास्तवघातार्थ / सप्त प्रायंत दुष्टचित्तेन // कंसेन वासावसरे / मथुरापुर्या नृशंसेन // 44 // . ECCESSSSSSSSESSI Juhatnasun MS Jun Gun Aaradhan

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