Book Title: Devki Putra Charitram
Author(s): Shubhvardhan Gani
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 4
________________ 爱发形检控股哈哈底 बत्रीस बत्रीस कन्याओ परणावी. // 6 // चरित्रम् as द्वात्रिंशद् द्वात्रिंशद् / रजतमहोरजतकोटयः प्राप्ताः // करमोचनवेलाया-मेतैः स्वश्वशुरवर्गेभ्यः // 7 // अर्थ:-त्यारे हस्तमोचनसमये तेओ सर्वने पोतपोताना ससराओ प्रासेथी बत्रीस त्रीसकोड रूपामहोरो, तथा सोनामहोरो, प्राप्त थइ हती. // 7 // प्रत्येकं द्वात्रिंश-द्वासावासेषु जितविमानेषु // द्वात्रिंशत्कन्याभिः / सार्ध विलसंति ते सुधियः // 8 // अर्थ:-उत्तमबुद्धिवाळा तेओ दरेक देव विमानोने पण जीतनारा बत्रीसवत्रीस. मेहेलोनी अंदर ते बत्रीस बत्रीस कन्याओनी साथे भोगविलासो भोगवे छे. // 8 // समयेऽस्मिन्नेमिजिनः / समवसृतस्तत्पुरोमहोयाने // श्रीजितशत्रुनरेंद्र-स्तं नंतुमगात्सपरिवारः // 9 // अर्थः-एवामां श्रीनेमिनाथप्रभु ते नगरीना महान् उद्यानमा आवी समोसर्या, त्यारे जितशत्रुराजा तेमने चांद-15 वामाटे परिवारसहित त्यांआव्यो.॥९॥ . o श्रुत्वा जिनातिं ते मित्रः सह बांधवा मुदितमनसः // समवसरणभूभाग। संप्राता निजनिजमहा अर्थः प्रभुनु आगमन सांभळीने ते छए भाइओ मनमा आनंदपामताथका पोतपोतानी समृद्धिसहित ते समवस-Jal Jun cu fatado USESeeeeee sunratnasdr M.S..

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