________________ (xi ) कालिक उत्कालिक उत्तराध्ययन वेश्रवणोपपात दशवेकालिक सूर्यप्रज्ञप्ति दशाश्रतस्कन्ध वेलन्धरोपपात कल्पिकाकल्पिक पौरुषीमंडल कल्प देवेन्द्रोपपात चुल्लकल्पश्रुत मण्डलप्रवेश व्यवहार * उत्थानश्रुत महाकल्पश्रत विद्याचरण विनिश्चय निशीथ समुत्थानश्रुत औपपातिक गणिविद्या महानिशीथ नागपरितापनिका राजप्रश्नीय ध्यानविभक्ति ऋषिभाषित निरयावलिका जीवाभिगम मरणविभक्ति जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति कल्पिका प्रज्ञापना आत्मविशोधि द्वीपसागरप्रज्ञप्ति कल्पांवतंसिका / महाप्रज्ञापना वीतरागश्रुत चन्द्रप्रज्ञप्ति . पुष्पिका प्रमादाप्रमाद संलेखणाश्रुत क्षुल्लिकाविमान - पुष्पचूलिका . नन्दी विहारकल्प प्रविभक्ति . वृष्णिदशा अनुयोगद्वार चरणविधि महल्लिकाविमा देवेन्द्रस्तव आतुरप्रत्याख्यान नप्रविभक्ति तंदलवैचारिक महाप्रत्याख्यान अंगचूलिका चन्द्रवेध्यक बंगचूलिका विवाहचूलिका . अरुणोपपात वरुणोपपात / * 'गरुडोपपात धरणोपपात ___इस प्रकार हम देखते है कि नन्दीसूत्र में देवेन्द्रस्तव का उल्लेख अंगबाह्य, आवश्यक-व्यतिरिक्त उत्कालिक आगमों में हुआ है। पाक्षिकसूत्र में भी आगमों के वर्गीकरण की यही शैली अपनायी गयी है। इसके अतिरिक्त आगमों के वर्गिकरण की एक प्राचीन शैली हमें यापनीय परम्परा के शौर... सेनी आगम 'मूलाचार' में भी मिलती है / मूलाचार आगमों को चार भागों