Book Title: Devchandraji krut Chovishi Balavbodh
Author(s):
Publisher: ZZZ Unknown
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पांचभावनानोस्तवन
१८५
थवंत || रेजी० ॥ १२ ॥ ज्यांलगे तुजइल देहथी || बेपूरवसंग | त्यांन गेकोमीन पायथ ॥ नविधानंग || रेजी० | १२ || आगल पाबल चिदिने || जेवएस जाय || रोगादिकथीनविरहे ॥ कीकोमीन पा य ॥ रेजी० ॥ १३ ॥ अंतेपणनेत ज्या || थारशिव सुख || तेजाबुटे घ्यापथी || तोतुजस्योदूःख ॥ रेजी० ॥ १४ ॥ एतनविसेताहरे || न विकाइहाए ॥ जोज्ञानादिकगुणतलो || तुजच्छावेजा ॥ रेजी० ॥ १५ ॥
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जरामर आत्मा || अविचल गुलाल || क्षणभंगुरयादेही || तुज कहां पिबा || रेजी० ॥ १६ ॥ बेदनभेदनतामना || वधबंधनदा ह || पुल ने पुल करे || तुंमरागाह || रेजी० ॥ १७ ॥ पूरवक रमउदयसही || जेवेदनथाय ॥ ध्यावेच्छातमतिसमे || तेध्यानीराय ॥ रेजी० ॥ १६ ॥ ग्यांनध्याननीवातमी || करणीच्यसान || अंतस मेच्छा पदपथा || विरला करेध्यान || रेजी० ॥ १० ॥ यारतिकरिङःखनो गवे ॥ परवशजिमकीर || तोतुज जालपणातलो || गुणकेोधीर ॥ रेजी० ॥ २० ॥ सु६निरंजन निरमलो || निजच्यातमभाव || तोविए सेकहे दुःख कस्यो || जेम लियोछाव | रेजी० ॥ ५१ ॥ देह गेहनामा तो || एच्छापोनाहिं | तुजगृहच्यातमज्ञानए || तिएमहिंसमाहिं | रेजी० ॥२२॥ मेतारजसुकोसलो || वलिगजसुकमाल || सनतकु मारचक्रीपरे ॥ तनममताटाल || रेजी० ॥ २३ ॥ कष्टपम्या समतार मे || निज आतमध्याय ॥ देवचंप्रति मुनिता || नितवंडुपाटा ॥ रेजीव० ॥ २४ ॥
॥ ढाल ४ थी || रेप्राणीधरसंवेगविचार ॥ एदेशी ॥
ग्यानध्यानचारित्रनेरे || जोदृढकरवाचाल || तोएकाकी विहरतो रे ॥ जिनकल्पादिकसासरे || प्राली ० ॥ एकल नावननाव ॥ १ ॥ शिवमा र्गसाधनदावरेप्राए|| || ९० ॥ साधुनीगृहवासनारे || टीममता तेह ||
२४
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