Book Title: Devchandraji krut Chovishi Balavbodh
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 206
________________ २०४ चेतन्यकर्मचरित्र मित्रशांतरसबसेसुपास ॥ निजगुणमहेल सदासुखवास ॥ ऐसेराज करोतुमईस || सुखअनंतविल सोजगदीस ॥४॥ तुमपेंसूरसैनहैजोर ॥ तिनकोपारनहीकोहुनर || तुमअपनेपुरथिरव्हैरहो ।वचनहमारोसत्य सरदहो ॥ ५ ॥ आग्याकरहोंएकजनकोय ॥ सजिसेन्यावहयागेहो य ॥ कहेसोजीवसुनहोतुमझान ॥ तुमारेवचनहमहैपरमान ॥ ६ ॥ हमग्याटाहतुमकोंकरी ॥ लेहोमूहूरतअतिसुनघरी ॥चढहोकर्मस जिहथियार || सूरवमेसबतुमारीलार ॥७॥हमतुममेंकबुंअतंरनाहिं। तुमहममेंहमहैतुममांहि॥जैसेसूरतेजदूतिधरे। तेजसकल सूर्यतिकरे॥ ॥ ७ ॥ एहि विधिहमतुमपरमसनेह ॥ कहतनल हिएंगुणकोह ॥ ज्ञान कहेअनुसुनएकबैन ॥ सिष्यामोहदिजियैन ॥ ॥ तुमतोसबविध होगुननरे ॥ अरियनसोंकबहूनहिलरे ॥ तातेतुमहोन हुसियार ॥ जु एवमेयरिसों निरधार ॥ 10॥ ॥वेसरीबंद॥ ग्यानकहेविनतीसुनस्वामी ॥ तुमतोसबकेअतंरजामी ॥ कहानयो मेनकरीरार ॥ अबदेखोमेरीतरवार ॥ १ ॥ वैसबदुष्टमहाअपराधी ॥ उनकीकलासबमेलाधी ॥ मेरेमनअचरजयहझान पैमेजानोतुमबल वान ॥ २ ॥ ॥दोहा॥ झानकहेचेतनसुनो ॥ तुमहोमेरेनाथ ॥ कहाबिचारोकूरवह ॥ ग हिमारोएकहाथ ॥ तबचेतनऐसेकहे ॥ जीततुमारीहोय ॥ मारिनजा वोमोहको || राँगोषअरिदोटा ॥ २ ॥ ॥ कमखाबंद ॥ चम्योज्ञानगंनीरदलवीरहुँसंगलै ॥ एकतेएकसबसरससूरा ॥ को टिअरुसंखनपारकोकगने ॥ ज्ञानकेनेददलसबलपूरा ॥ १ ॥ सिपर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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