Book Title: Devchandraji krut Chovishi Balavbodh
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 214
________________ २१२ चेतन्यकर्मचरित्र बेटोघाटोरोककें ॥ मोहमहाअग्यान ॥ २ ॥ केश्चाकरजोरजे ॥ ने . जेव्रतहिं बिपाय॥ ते चैतनकेदलनमें ॥ निस दिनरहेंलुकाटा ॥३॥ कब हुंप्रगढहोहिकडं || कबहूंकबहूंबिपाहिं ॥ एहविधसैनामोहकी ॥ रहे सुंएहिदलमाहिं ॥ ४ ॥ ॥चोपाई॥ मोहस कल दल सोंपूरबार ॥ आयथावोसंगलें परिवार ॥ चैतनदेस विरतपूरमाहि ॥ आगेपानधरेंकडूंनाहि ॥१॥ मोहकीएपरपंचअनेक॥ अहोवेकोंगहीबेठोटेक ॥ जोचेतनापूरमांहें ॥ तोराखूगहिकेंनिज पाहें ॥ २ ॥ बहूरिननिकसनबिनएकदेवं ॥मारिमिथ्यात्ववैरनिजले । हिचेतनमोसुजुकरें ॥जोधावें अवकेंकरतरें ॥ ३॥ तोकिरियाकोंजेसें करों। सुधिबुघिसकतिसबेपरिहरी। उहविधिमोहदगाकीबात॥रचनाकरे अनेकविख्यात ॥ ४ ॥सुमनखबरसबजीवकोंदई। एकवात सुनहोपनुनई।। मोहरचेंफंदबहूजाल ॥ तुममतनुल होदीनदयाल ॥ ५ ॥ अबकेंजोपकरे गोतोंहि। तो फिरदोसनदेजोमोहि ॥मेसबखबरनाथतुमदई ॥ जैसीकबुह कीगतनई ॥ ६॥ तवहंसहपूरकोपंथ ॥चल्योउल्लंत्रिमहा निग्रंथ।। अ प्रमत्तपुरकीलाह ॥ जे हिमारगेपथिकबहूंसाह || ७ ॥ रोकेआयसु पत्याख्यान ॥ जुवकरेबिनुदेचनजान ॥ चैतनकहेजान सम्र ॥ बिनमेंमारिकरुंचकचूर ॥ ७ ॥ तबजोरनानाविधिकरे ॥ चैतनसनमु खव्हेनेलरे ॥ चैतनध्यानधनुष्यकरलेई ॥ मुर्बितकरिआगेपगर्देई ।। ए ॥ गैरयोप्रत्याख्यानकुमार ॥ चैतनपहुच्यौसत्तमहार ॥ मोहकहें देखोरेंजोर ॥ अहतोकियोटातु हेनोर ॥ १० ॥ पकरहुँसु नटदोरिय जाय ॥ ल्याबोपक रिवंगमुहिंपाटा ॥ चव्यासुधर्मरागबलबीर ॥ विक थावचन उसरोधार ॥ ११ ॥ निशविषटाक घाटामपंच ॥ पकरिहंस लेआएपंच ॥ चैतनदेखेटाहकहानई ॥ मोहिपकरले आई ॥१२॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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