Book Title: Devchandraji krut Chovishi Balavbodh
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 207
________________ चैतन्यकर्मचरित्र २०५ सीलार सिरदारभयांनेदनृप । अरिदल करीयहविरुदत्लीनो || हाथ हथियारगुणधार विस्तारमे || पहेरिढनावयहसिल हकीनो ॥ सि० ॥ || २ || चढतसबीरमनधीर सवार है || देखि रिटयनको माननंजे ॥ पेषिजैवंतजी नवं दसबही कहे || आजपरदलन कों सही गंजे ॥ सि० ॥ ३ ॥ च्यति हिच्यानंदनरवीरन मंगसब ॥ याजहमनिमनकोदावपायो || जु धएसोकरेदेखि थरहरे ॥ होयहमनाम दिनदिनसबायो ॥ सि० ॥ ४ ॥ ॥मरदवीबंद ॥ बज्जहिंर एतूरें दल बहुपुरे चेतनगुंलगावंत ॥ सूरतन जग्गेकोउन नग्गो अरिदलपैधावंत ॥ ऐसेस बसू रेज्ञान च्यं कूरे च्या एसनमुखजेह ॥ छापां बलमंमेच्ारिदल खंमे पुरुषतनके गेह ॥ १ ॥ ॥ दोहा ॥ विवेकनाम एक डुतकों ॥ लीनोग्यानबलाय || जायकहोवामोह सौं | नलोचहेतोजाय ॥ १ ॥ जोकबहूंटेढोबके ॥ तोतुमदेजो सूंस ॥ धिग् धिग्तोजन्मकों || जोकबुराखेहुंस ॥ २ ॥ तेरोबल जेतोच लै ॥ ततोकर जोर ॥ वेचाकरसबजीवके ॥ बिनमेकरहिंनोर ॥ ३ ॥ ग्या ननलाईजालिके ॥ मेपठयो तुम्हपास | चेतनको पूरबांमिदे || जोजी वनकी आस || ४ ॥ ॥ सोरठा ॥ चल्यो विवेक कुमार || छायोराजामोह || कोवचनविस्तार ॥ नलोच हेतौनाजियों ॥ १ ॥ सुनकैवचनहतास ॥ कोप्यो मोहमहाब ली ॥ बिनमैकरहूंना || मोागेतुमहो कहा ॥ २ ॥ ॥ दोहा ॥ एकही ग्यानावर्णिने ॥ तुमसबकीनेजेर ॥ इतनीलाजनच्यावहिं ॥ - मुखदेखावहाफेर ॥ १ ॥ कालानंतह कित रहे || सोतुमकर होवि Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org .

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