Book Title: Devchandraji krut Chovishi Balavbodh
Author(s):
Publisher: ZZZ Unknown
View full book text
________________
चेतन्यकर्मचरित्र क्याजाणोवाईह ॥ १ ॥ कहेजीवसुनिमित्त ॥ मेवितकअपनोकहूं॥ तुंधर निश्वैचित्त ॥ सुनहोवातविस्तारसों ॥ २ ॥
॥चोपाई॥ - एहीमोहनपमोहिनुलाय ॥ निजपुत्रीदिनीपरणाय ॥ ताकीयादिमो हिकबुनाहिं ॥ कालअनादिश्हविधिटाहिं ॥ १ ॥ मेरीसुधिबुधिसबह रिलई ॥ मोहिनसूरतिरंचकहनई ॥ एहिकीनोजीसेंनटकीस ॥ विवि घिस्वांगनाच्योनिसदीस ॥ २ ॥ चौरासीलदनामधराय ॥ दिनमेख गनर्कलेजाय ॥ दिनमेकरेमनुष्यतिरजंच ॥ लखेनजाहेजाकेपरपं च ॥ ३ ॥ जमपूरकोमुहिकीयोनरेस ॥ मेंजांस्योसबमारोदेस ॥ तब मेंपापकीटोएहसंग ॥ मानीमानीअपनेरसरंग ॥ ४ ॥ तबमेवस्योमोह केगेह ॥ तातेंसबविधिजान्योएह ॥ कहोकहालोबहूविस्तार ॥ थोमेमे ल खिले हुंविचार ॥ ५ ॥
॥सोरग। तबबोले योंज्ञान ॥ यहपरमारथमेल ह्यो । अबतुमसुनहुँसुजांन।। एकहमारी विनती ॥ १ ॥ सेवकनेजोएक ॥ जेहजासोंबलवंतहे॥ तो रहेतुमारीटेक ॥ मेरेमनएसीवसे ॥ २ ॥ कहेजीवसुंणझान ॥ विना विचारेक्योंकहूं ॥ मोहमहाबलवान ॥ ताकीपछतकौनहै ॥ ३ ॥
॥चोपाई॥ कहेझानसुनजीवनरेस ॥ तुमसमअवरनकोराजेस ॥ सुखसमाधि पुरदेस विशाल ॥अनयनामगढअतिहिरसाल || १ तासदावसोतु मनाथ ॥ निसदिनराजकरोहितसाथ ॥ सुमतीआदिपट्टरांणीसात ॥सु बुषिकरुणादमाविख्यात ॥ २ ॥ निजरदोधारणाएक ॥सातआदित्र रुसषिअनेक ॥ बंधवजीहांधरमसेंधार ॥अध्यातमसेंसुतवमवार॥३॥
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226