Book Title: Devchandraji krut Chovishi Balavbodh
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 203
________________ चेतन्यकर्मचरित्र २०५ सूरातुमऐंन ॥ ४ ॥ प्रथमसुनावकहेमेंबीर ॥ मोनहिंलागेअरीकेतीर।। औरसुनोमोरीअरदास ॥ बिनमेकरोंगरिनकोंनास ॥ ५॥ तबसुनध्या नबोलेमुखबैन ॥ हूंकमतुमारेजीतोसैन ।। मोागेसबअरिनासजाहिं। सूरयदेखिज्योंतिमरपुलाहिं॥६॥ बोले चारित्रमाहाबलवंत।बिनमकरों अरिनकोअंत ॥ फूनिविवेकबोलेवलीसूर ॥ देखतमोहिंनसेमरिक्रूर ॥ ७ ॥ तबसंवेगबोलेकरिमांन ॥ अरीकुलअबकरोंघमसान ॥ तब उतमबोले समनान ॥ मेंजीतेवंकेगढरान ॥॥ तोअरीविपुरेहेकहिमा त ॥ तमसबचूरिकरोपरनात॥ बोलेवचनसंतोषरसाल ॥ मोआगेवेके हाकंगाल ॥ ए ॥ धीरजकदमोपैकासूर ॥ पल मेंकरोंअरिनचकचू र ॥ सत्तकहेसबनैमेजोर ॥ जीतोवैरीकरिनकठोर ॥ १० ॥ उपशम कहेअनेकप्रकार ॥ मैंजीतोवेरिसिरदार॥ दरसनकहेएकहीएवेरि ॥ जी' तोसकल अरिनकोंघेरि ॥११॥ आएदानशीलतपना ॥ नहचेविधि जाणेंजिनराज ॥ पारनपानाअपार॥हविधिसकलसजो सिरदार ॥ ॥ १२ ॥ तबेझानचेतनसुकही ॥ फोजतुंमारीयहबनिरही ॥ चैतनदे खेनैननिहार ॥ अबतोफौजनश्तैयार ॥१३॥ अबमेरेसबसूरअनंत॥ ल्यावहूंज्ञानहमारेमित्त ॥ सक्तिअनंतलसेनिजनैन ॥ देखोपनुतुमारि सैन ॥ १४॥ अनंतचतुष्टैचादिअपार ॥ सेन्यासवेनश्तैयार || जुरे सुनटसबअतिबलवंत ॥ गणतीपारनवेअंत ॥ १५ ॥ ॥दोहा॥ कहेझानचैतनसजो ॥ रोसकरेजिनरंच ॥ एकवातमुहिनपनी ॥ कहंविनापरपंच ॥ १ ॥ सुनीजीवकहेग्यानतुं । केसीनपजीवात ॥तु मतोमहासुबधिहो ॥ कहतेक्योसंकूचात ॥ २ ॥ तबवैज्ञाननिसंक व्है ॥ बोलेअनुसुबैन ॥ चाकरएकहनेजीयें। गहील्यावैसब सैन॥३॥ २६ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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