Book Title: Devchandraji krut Chovishi Balavbodh
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 201
________________ चेतन्यकर्मचरित्र रए नमेनतुमकोंाय ॥ लरकोंहोंसानए ॥ २ ॥ सजिसजिसबहींसूर । अपनीअपनीफोजले ॥ आटोमोहहजूर।अबमोहचालिजीएं॥ ३ ॥ ॥चोपई॥ .. रागवेषवैवमेवजीर || महासुनटदलथंननवीर ॥ फोजमध्यडोकं सिरदार || इनकेपी सबपरिवार ॥ ५ ॥ ज्ञानावर्णबोलयोंबैन ॥ मोपेपं चजातिकेसैन || जिनेसबजीवकोटोजगजेरि ॥ राखेनवसागरमेघरि ॥ २ ॥ ग्यांननपरसबमेरेलोग ॥ तांहीतेनजगेन पटोग ॥ जानेनहीए . कअरुदोय ॥ सोमहीमांसबमेरीहोय ॥३॥ तवदरसणावरणयोंकहे ॥ जगकेजीवअंधव्हरहे॥सोसबहेमेरोपरसाद॥ नौरसवीरकरेतनमाद ॥४11 तबवेदनीबोलेधीर ॥ मोपेदोश्जातकवीर ॥ महासुनटजोधाबलसूरती यंकरकेरहेहजूर ॥ ५ ॥ नरजीवहेकेहीमात ॥ मेरीमहिमांजगविख्या त ॥ मोकुंचाहिंचिहूंगतीमाहिं ॥ मेनिनसुखद्यौबिनउखपाहिं ॥६॥थी कर्मबोलेबलवंत ॥ सिझविनासबमेरेजंत ॥ मेराखोत्यांलगेथिररहे । नहितोपंथगौनकीगहे॥७॥ मोपेंचारजातिकेसूर॥ तिनसोंजुधकरेकोन कूर ॥ चिहूंगतिमेंसबमेरेदास ॥ मेत्यागुंतबसिवपुरवास ॥॥ नामकर्म बोले गहिनार ॥ मोविनुकोनकरसंसार ॥ मैकरतापुदगल कोरूप ॥तां मेआयवसेचिदूप ॥ए॥ रतिवांनहोएमेरेसंग || रूपरसील हेबहरंग ॥ नसोंसरनरजोजिटाकरे ॥ तोननगंमेमरीअवतरे॥१०॥ गोत्रकर्मलेही असवार ॥ ऊंचनिचजिनकोपरिवार ॥ सुरवंसकोयहेसुनाव ॥.बिन मेरंककरेबिनुराव ॥ १५ ॥ अंतरायअपनोदल साज ॥ पंचसुनटदेखो महाराज ॥ सबके आगेएअसवार ॥ रणमयुधकौनिरधार ॥१२॥ क रहथीयारगहननहिदेहि ॥ चेतनकीसुधिसबहरीलेहि ॥ एसेसुनटएको वीस || तिनकेगुंणजाणेजगदीस ॥१३॥ इनके सुनट सातसिरदार ॥ पर दलगंजनवमेझार॥तवमोहरायअतीआणंदा।देखेसुनटजुरेसबवंद॥१४ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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