Book Title: Devchandraji krut Chovishi Balavbodh
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 211
________________ चेतन्यकर्मचरित्र २०॥ ॥कमखाबंद॥ मोहकीफोजसोनाल गोलेंचले ॥ आयचेतनकेदलहिलागे ॥ आ उमददोषसम्यक्त केंजेकहें ॥ तेश्अबतमेंमोहदागे ॥मो॥१॥ जीवकी फोज सोंप्रबल गोलेचले ॥ मोहकेदलनकोंटामारे ॥ अवैरागता भावबहुनावता ।। ताहिंप्रतिनामऐसोविचारे ॥ मो० ॥२ ॥ बहुरीपुनि जारेकरीअतिहिंबनघोरकर। ॥ मोहनपचंबानेचलावे ॥दोषषटआ यतनअतिहिंनपजायचन॥जीवकीफौजसनमुखवगावे॥मो० ॥ ३॥ हंस कीफौजतेंबानघमसांनकें॥गाजतेवाजतेचलेंगाढे ॥मोहकीफोजकोंमा रिहल काकरे॥हेयन पादेनकेनावकाढे ॥जी० ॥ ४ ॥ अष्टमदगजनके हलकारिदेमोहकें। सुनट सहेबंधसबधस तसूरें ॥ एकतेएकजोधामहानिम तहे ॥ अतिहिंबलवंतमेंमतपूरें ॥ जी० ॥ ५ ॥ जीवकीफोजतेंसत्त परतीतकें ॥ गजनकेपूंजबहूधसतमातें ॥ मारकेमोहकीफोजकोंपल कमें ॥ करतबमसांनमेमंतातें || जी०॥६॥ मारगाढामसूनटको ननांबचें ॥ घान बितुखारबिंहुंदल नमाहि॥ एकतेएकजोधादोकदल न में ॥ कहतकबुन पमाबनतनाहिं ॥ जी० ॥ ७॥ सातजेसुनटपहिले मुरब तनए ॥ मोहनमंत्रकरसबजीवाए ॥ आयश्हजुधमें तिनहुँबहुरुप करि ॥ जीवोंजीतिपाहटाए ॥ मो० ॥ ७॥ मिश्रसास्वादानहिं फरसिमिथ्यातमहि ॥ न मंगकेबहूरिअवतहिंछाटो ॥ मारिघमसान वसानआयतुरत ॥ सातमेंकबुझएनपायो ॥ मो० ॥ ए ॥ ॥सारा॥ हविधचेतनराय ॥ जुधकरतुहेमोहसों || नरसूनहोअधिकाय ।। अबसुपरस्परनिम्तहे ॥ ५ ॥ ॥ मरहीबंद ॥ रणसिंगवऊहिंकोन न नऊहिंकिरहिंमहादोऊजुध ॥इतजीवहकारेंनि ૨૭ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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