Book Title: Devchandraji krut Chovishi Balavbodh
Author(s):
Publisher: ZZZ Unknown
View full book text
________________
पांच नावनानोस्तवन
१७ ॥ ढाल ५ मी॥ इणिपरेचंचलाऊषोजीवजागोरे ।
॥एदेशी॥ चेतनएतनकारमो ॥ तुमेध्यावोरे ॥ शुधनिरंजनदेव ॥ नविकतुमे ध्यावोरे। शुक्खरूपअनूप॥ नवि०॥१॥ नरनवश्रावककुल यो॥तुमे०॥ लाधोसमकितसार ॥नवि०॥ जिनागमरुचिशंसुस्या ॥तुमे॥ श्रा लसनीसवार ॥नवि०॥ २॥ समयांतरसहनावनो ॥तुमे ॥ दरसजा सअनंत ॥नवि०॥ आतमनावेथिरसदा ॥तुमे॥ अक्षयचरणमहंत । प्रवि०॥३॥ तीनलोकतिहुंकालना॥तुमे ॥परणतितीनप्रकार॥ नवि० एकसमेजाणेतिणे। तुमे ॥ नाणअनंतअपार ॥ नवि० ॥ ४॥ सकल दो षहरशासतो ॥तुमे ॥वीरजपरमअदीन॥ नवि० ॥ सुषमतनुबंधनविना॥ तुमे ॥ अवगाहनास्वाधीन॥ नवि०॥५॥पुजल सकल विवेकथा॥ तुमे ॥ शुष्अमूरतरूप ॥ नवि० ॥ इंडियसुखनिस्पृहथया ॥ तुमे ॥अकथ अवाहवरूप ॥ नवि० ॥ ६ ॥ व्यतणेपरिणामथी ॥ तुमे ॥ अ गुरुल घुत्वअनित्य ॥ नवि०॥ सत्यखनावमयीसदा ॥ तुमे ॥ गेमा भावअसत्य ॥ नवि० ॥ ७ || निजगुणरमतोरामए ॥ तुमे० ॥ सक लअकलगुणखाण ॥ नवि०॥ परमातमपरजोतिए ॥तुमे | अलख अलेपवखाण || नवि० ॥ ७ ॥ पंचपूज्यथीपूज्यए ॥ तुमे ॥ सर्व ध्येयथाध्येय ॥ नवि० ॥ ध्याताध्यानरुध्येयए ॥ तुमे० ॥ निश्चेएक अनेय ॥ नवि० ॥ ५॥ अनुनवकरताएहनो ॥ तुमे ॥ थाएपरम प्रमोद ॥ नवि०॥ एकस्वरूपअन्यास सुं ॥ तुमे । शिवसुखबतसुगो द ॥ नवि० ॥ १० ॥ बंधबंधएातमा ॥ तुमे ॥ कर्ताअकर्ताए ह ॥ नवि० ॥ एहनोगताअनोगता॥ तुमे ॥ स्यादवादगुणगेहा नविन ॥११॥ एकअनेकवरूपए ॥ तुमे ॥ नित्य अनित्यअनाद ॥ नवि०
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226