Book Title: Devchandraji krut Chovishi Balavbodh
Author(s):
Publisher: ZZZ Unknown
View full book text
________________
रए
बुटकसिज्जाय कनटपमिया ॥ जीतनीसाणधुरायोरे ॥१०॥७॥ केवल ज्ञानदर्शनगु एप्रगट्या ॥ माहाराजपदपायो ॥ शेषशघातिकर्मविणदल ॥ उदय अबाधदिखायोरे ॥ १० ॥ ७ ॥ संयोगीकेवलीथयापनंजना ॥ लो कालोकजणायो ॥तीनकाल नीत्रिविधवर्त्तना॥ एकसमेल खायोरे॥ अ॥ ए ॥ सर्वसाधवीवंदनाकीधी ॥ गुणीवनयनपजायो ॥ देवदेवी तवस्तवेगुणस्तुति ॥ जगजयपमहबजायोरे ॥०॥ १० ॥ सहजक न्यकादिवालीधी ॥ आश्रवसर्वतजाटो ॥ जगन पगारीदेस विहारे ॥ सुधधरमदीपायोरे ॥ १० ॥ ११ ॥ कारणजोगेकार्यसाधे ॥ तेहच तुरगाश्जे ॥ आतमसाधननिर्मल माधे ॥ परमानंदपाईजेरे ॥ अ॥ ॥ १२ ॥ एअधिकारकहोगणरागे॥ वैरागेमननावी ॥ वसुदेवहींमत णेच नुसारे ॥ मुनीगुणनावनानावीरे ॥अ० ॥ १३ ॥ मुनीगुण सुणतां भाव विसुधे ॥ नवबिबेदनथावे॥ पुर्णानंदईहाथीउल्लसे ॥ साधनशक्ति जमावरे ॥ ॥ १४ ॥ मुनीगुणगावोनावोनावना ॥ ध्याबोसहज समाधी ॥रत्नत्रयीरकत्वेखेलो ॥ मिटिअनादिउपाधारे ॥ ॥१५॥ राजसारपाठ कनपगारी ॥झानधरमदातारी॥ दीपचंदपाकखरतरवर॥ देवचंसुखकारीरे ॥ १० ॥ १६॥ नयरलीबमीमांहेरहीने ॥ वाच समस्तुतिगाई ॥ आत्मरसिकश्रोताजनमनने ॥साधनरुचिसमजारे ॥ छ || १७ ॥ इमउत्तमगुणमालागावो ॥ पावोहरषवाई ॥ जैनध रममारगरुचिकरतो ॥ मंगललालसदारे ॥ १० ॥ १७ ॥ इतिश्रीष नंजनानीसकाटासंपूर्ण ॥ ॥७॥ ॥७॥ ॥ ७ ॥
॥अथसिज्जायलिख्यते॥ चतुरतुंचाख मुझसीषहित सूखमी। बापमाकपटकांमुढममे॥ विषटालं पटपणेरातदिननविगणे ॥ क्रोधमदमानमायानबमे ॥ चतु० ॥१॥
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226