Book Title: Devchandraji krut Chovishi Balavbodh
Author(s):
Publisher: ZZZ Unknown
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बुटकस्तवनसज्जाटो
१९३ सदनधनखजनजननिरखिनिजवशअरे ॥ माहरुमाहरुंमकरनोला ॥ ताहरूंतेहजेसुकृतसंचयकरे ॥ पिंपापेनरिकरीअरोला॥चतु ॥२॥ सकलसुनकाजनीआजवेलालही ॥ मोहेमुंज्योहजीसुविमासे ॥ स कलसुखतुझगमेदेहिउखनवीखमे ॥ करणी विणमुक्तिरतिकिमकरासे॥ ॥च० ॥ ३ ॥ कालबरयट्टससिसूरबषजोमयूँ ॥ दिवसनेनिशि अतीवमियमालं ॥ निरषीनिजआयुधूनीरकलेचतां ॥ कांनमेह जीमोहजालं ॥च ॥४॥ अथिरसंसारमांसारनवकारनु ॥ ध्यानध रतांसदाझदयराजे ॥ एहथीनवतरेमेरुमहिमाधरे ॥ इक्षिविजयादिसु खसकलसीके ॥ च ॥५॥ इतिसशाटासंपूर्ण ॥
॥अथश्रीबीजनोस्तवनलिख्यते ॥ दिनसकलमनोहरबीजदिवसस विसेष ॥ रायराणाप्रणमेचंवतणीजि हारेष ॥ तेचंबविमानेसाखतजिनवरजेह ॥ हूंबीजतणेदिनप्रणमुं आणीनेह ॥५॥ अभिनंदनचंदनशीतलशीतलनाथ ॥ अरनाथसुम तिजिनवापुज्य सिवसाथ ॥ इत्यादिकजिनवरजन्मन्याननिरवाण ॥ एबीजतणेदिनपणमुहुंसुविहाण ॥ २ ॥ परकासिबीजेऽविधधर्मन गवंत ॥ जेमविमलाकमलाविपुलनटाणविकसंत ॥ आगमअतिम नोपमजिहांनिश्चयव्यवहार ॥ बीजेस विकीजेपातकनोपरिहार ॥ ३ ॥ गजगामिनीकामिनीकमल सकोमलधीर ॥ चक्केसरीकेसरीसरससुगंध सरीर ॥ करजोमीबीजदिवसेंतसपण मुंपाय | एमलब्धिविजयाकहप रमनोरथमाटा ॥ ४ ॥ इतिबीजनोस्तवनसंपूर्ण ॥
॥ अयश्रीमंमोवरापार्श्वजिनस्तवन ।। तारमुकतारमुकतारत्रीनुवनधणी ॥ पारनतारसंसारसामी ॥ प्राण तुप्राण तुंसरणआधारतुं ॥ आतमासममुजतुंहिंसामी ॥तार ॥१॥ तुंह
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