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Jaina Literature and Philosophy
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red colour in the centre only; the numbered, in each of the two margins, too; red chalk used; fol. 19h blank"; edges of the last fol. slightly gone; condition on the whole very good ; complete ; extent 648 slokas. S Age. -- Old.
Author.-- Not mentioncd.
Subject.-- This work in Sanskrit deals with the life of king Ama and his spiritual teacher Bappabhatți. The main topics Care as under :--
10
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30
2
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1 बप्पभट्टिरिप्रबन्ध 2 बप्पभट्टिसूरिसिंहासनेोपवेश प्रबन्ध
3 बप्पभट्टिपर मनोज्ञानप्रबन्ध
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पट्टिव्योमगमन विद्याप्तिप्रबन्ध
5 बप्पभट्टिसूर्यामरोषतोष प्रबन्ध 6 वप्पभट्टिप्रबोधितामकीर्तनप्रबन्ध 7 बप्पभट्टिशीलपरीक्षाप्रवन्ध 8 बप्पभट्ट सर्वज्ञपुत्रबिरुदादिप्रबन्ध 9 बप्पभट्टिसूर्यामाकार्यनिषेधप्रबन्ध 10 बप्पभट्टिवादिविजय प्रबन्ध 11 बप्पभट्टिवाक्पतिप्रबोधप्रबन्ध 12 ब भट्टिकारिता मयात्राप्रबन्ध प्रश्नचूडामणि is referred to on fol. 12.
Begins. -- fol. 1 ६०५
श्रीनाभिभूवतु वः करपल्लवोरु
foll.
सप्रेमसिद्धियुवतिच्छुरणाच्छया यः ।
च्छायारुणं बहुल मिक्षुरसं दधानः ।
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'काश्मीर' नीरभृतपाणिरिव स्म भाति ॥ १
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1 This is v. 160 of the nijjutti on UttarajJhayana.
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इह हितावदुशेषावताराणां शेखरतामेति मानुषाऽवतारस्तदुक्तं ॥ सलिलषु मेघसलिलां (लं) गोधूमो (S) नेषु धातुषु सुवर्ण ।
सग्ग दारुषु नृभवो भवेषु भो वैभवं लभते ॥ २ ॥
अत एवागमे चोल्लकादिभिर्दशभि लोंके घुमण्यादिभिरनेकैश्व दृष्टांतैस्तस्य दुर्लभता भण्यते तदुक्तं ॥
चुल्लग पास धन्ने जूए रयणा अ सुमिण चक्के अ । चम्म जुगे परमाणू दस दिट्टंता मणुअलंभे || ३ ||