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Supplement : The Svetāmbara Narratives इति शुभं भूयात् ।। श्रीस्स्त कल्याणमस्तु ।। कहां कोयल कहां अंबवन कहां मौरा कहाँ मेह? दुर गयां नह वीसरे सजन तणा सनेह १ प्रीत परांणी नवे जे उत्तमसें लग्म सो बरस जलमें रहे तो हि चकमक तजे न अगा(ग्ग )२ प्रीत पुरांणी न हुवे जे लागी लघु धेश भावे अंगाण घर बसो भावें वसो विदेश ३ ॥
वांचजो मणजो संभारजोजी ॥ श्री ॥ N. B.- For further details see No. 312.
127 (7).
खिमर्षिचतुष्पदी
Khimarsicatuspadi 10 (खिमरिसिचोपाइ)
( Khimarisicopai) . No. 315
1872-73. Extent.- fol. 6 to fol. 6°. Description.- Complete; 26 verses in all. For other details see is
Upadeśaratnamala ( Vol. XVIII, pt. I, No. 264 ). Author.- Not mentioned. Subject.- A story of Khima ( Boha ) rsi in Apabhrainsa. Begins.- fol. 6. ॥६० ।
नमह नरामरसिबसुहकरण।
सिरिषमरिसिहि मुणिंदह चलण । सिरिषमरिसहि महिंदह बरी ।
निसणउ भधीया ! थिर मन धरी ।'१॥ etc. Ends.-- fol. 60
बोहउ षमरिस कन्हरिसीसार
सिरिजसभहसूरिगणहार इय जो नामोच्चार करेइ ।
लीलइ सो संसार तरेइ । छ ॥ २६ ॥ इति अमीरसिचपई समाप्तः ॥ छ ।