Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 19
Author(s): Hiralal Rasikdas Kapadia
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 464
________________ 429 30.] Supplement : The Svetāmbara Narratives इति शुभं भूयात् ।। श्रीस्स्त कल्याणमस्तु ।। कहां कोयल कहां अंबवन कहां मौरा कहाँ मेह? दुर गयां नह वीसरे सजन तणा सनेह १ प्रीत परांणी नवे जे उत्तमसें लग्म सो बरस जलमें रहे तो हि चकमक तजे न अगा(ग्ग )२ प्रीत पुरांणी न हुवे जे लागी लघु धेश भावे अंगाण घर बसो भावें वसो विदेश ३ ॥ वांचजो मणजो संभारजोजी ॥ श्री ॥ N. B.- For further details see No. 312. 127 (7). खिमर्षिचतुष्पदी Khimarsicatuspadi 10 (खिमरिसिचोपाइ) ( Khimarisicopai) . No. 315 1872-73. Extent.- fol. 6 to fol. 6°. Description.- Complete; 26 verses in all. For other details see is Upadeśaratnamala ( Vol. XVIII, pt. I, No. 264 ). Author.- Not mentioned. Subject.- A story of Khima ( Boha ) rsi in Apabhrainsa. Begins.- fol. 6. ॥६० । नमह नरामरसिबसुहकरण। सिरिषमरिसिहि मुणिंदह चलण । सिरिषमरिसहि महिंदह बरी । निसणउ भधीया ! थिर मन धरी ।'१॥ etc. Ends.-- fol. 60 बोहउ षमरिस कन्हरिसीसार सिरिजसभहसूरिगणहार इय जो नामोच्चार करेइ । लीलइ सो संसार तरेइ । छ ॥ २६ ॥ इति अमीरसिचपई समाप्तः ॥ छ ।

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