Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 19
Author(s): Hiralal Rasikdas Kapadia
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

Previous | Next

Page 443
________________ Jaina Literature and Philosophy [299. - 10 .. भीनाभिरायांकुलतिलो आदीसर अरिहंत चरण नमुं हुं तेहना । भयभंजण भगवंत ॥१॥ etc. भागातम गणधर प्रमुख जिनदत्त कुशल सूरि(रों)द सद्गुरु बलि संनिध करो गिरुवा 'मेरु' गिरिंद ॥ ५॥ etc. भबियाण धनानो सुणो । कहुं चरित संषेवि । तास कथा मुणतां थकां | हवे आणंद नितमेव ॥ ७॥ etc. Ends.- fol. 500 हरिकीरती मोटा यतीए मुनिवर माहमांवत म. उत्कष्टी किरीवा करे ए शीलवंत गुणवंत म० १२ राजहरषगणि हितकरूप रतनहरष सविचार म° . सदा सुप संपजे ए राजलाभगणि इम कहे ए मन धर हरप अपार सदा० १३ जीवराजआग्रह करी ए प्रभण्यो एह पंचार स० सदगुरुने सुपसाउले ए गांम वुणा मझार । स०॥१४॥ महामुनीसर गावतां ए पमि सुप सतान ....। उडवरंगवधामण ए दिनदिन बधनो यांन स०.१५. । तीजो पंड पूरोहयो.ए. न(त)णो गुणे नर जेहस.. घर बैठा संपद मिले ए मनचंछित लहे तेह स ० १६ . कहै कहावे जे वली ए सांभलि जे ये दान स०। राजलाभगणि इम कहे ए तिहां घर नवे य निधान । स०१७॥ इति श्रीधनासालभद्रचोपई संवत् १९०५ मिति माद्रवा पदे १ Reference.-- For an additional Ms. see Jaina Gurjara Kavio (Vol. III, Pt. 2, p. 1232). २०. ३, घम्मिलचरित्र Dhammilacaritra .... 614. _No. 300 1875-76. Size,-21 in. by 4in. Extent.— 77 + 1 = 78 folios ; 15 lines to a page ; sa letters to aline. . .

Loading...

Page Navigation
1 ... 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480