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Supplement : The Śretāınbara Narratives
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• भाहि सलेम आगलि जय परीओ श्रीविजयसेनसरी गुणदरीओ जी विरुव 'सवाई जगतगुरु' धरीओ मति सरगुरु अधिकरिओ जी ५ सण. भीविजयदेवसूरीश्वर तस पाटी उदयो अभिनव भाण जी आचारिज श्रीविजयसिंहसूरीसर ज्ञानक्रियायण जाण जी ६ सु. अनुक्रमे ते आचारिज सरपति प्रतिबोधनने पोहताजी श्रीविजयदेवसूरी निज पट्टे थापई श्रीविजयप्रभसूरि बिनीताजी सण. संप्रति ते जयवंता हुंता तम गच्छ शोभाकारी जी भीआणंदविमलसूरिदीक्षित कवि धर्मसिंह मति सारी जी ८ मु. तस शिष्य श्रीजयविमल विबुधबर कीतिविमल कषि सीस
तेहना जी :10 शुद्धाचारी शुद्धाहारी बिरुद कहीजे तेहना जी ९ मु० । भीविनयविमल पंडित वपरागी शिष्य तेहना लहीइंजी श्रीविजयप्रभमरिनी आणा सीस धरी निरवही जी(१०) मणयो. धीरविमल पंडित तस सेवक समय मानि शुद्ध वाणी जी शक्तिप्रमाण क्रिया अनुसरता सीषवता मषि प्राणी जी ११९० 15 'बईमान'तपकारक तेहना लम्धिविमल तस सीसा जी लघु सेवक नयविमल विबुधना बुधमा सबल जगीसा जी १२ मणयो. सयण सहाई चित निरमायें उपसंपद करी लीधुं जी आचारिजपदें शानविमल इति नाम थयु सप्रसीधुं जी १३ एणयो. निधि युग मुनि शशी १७४९ संबत माने फागुण शुदि पंचमी 20
दिवसें जी 'पत्तन[न]नयर सणे तस पासे पद पाम्युं शुभ देशे जी मुणयो• १४ श्रीविजयप्रभसूरीने पाटि पष्य (?) संवेग सहायाजी ज्ञानविमलसूरी संप्रति दीपई तेजि तरणी समाया जी १५. तिणे आणदमदिर नामें रास कयों सुखहेति जी
25 सागर विजय बेहु समवायें सणवाने संकेते जी १६ सणयो. 'राधनपुर' सहरे प्रारंभ्यो संपूरण थयो तिहाई जी नभ मनि मुनि विधु १७७० संवत मानि अधिक भधिक उमाजी १७
प्रणयो.
माह शुदि अजूगली तेरसी पूष्फारकने योगे जी स्नात्रोछवदिने चढयो प्रमाणे पहथी एखीओ सीब लोग जी १८
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मणयो.
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