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The Svetāmbara Narratives
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divided into four ullāsas as under :
Ullasa I foll. pb to 170
, II , 17 , 350 , III , 35 , 64
, IV , 64 , 93. Fol. 16 contains the same matter as given on the next
fol. also numbered as I Age.- Samvat 1914. Author.- Mohanavijaya, pupil of Rupavijaya Gani. His addi
tional works are as under :(1) चोरासी
v.s. ? (3) नर्मदासुन्दरीरास V.S. 1764 (3) पुण्यपाल गुणसुन्दरी-रास V. S. 1763 (4) मानतुंग-मानवती-रास V. S. 1760 (5) रत्नपालरास
___V. S. 1760 (6) हरिवाहनतृपरास
V. S. 1755. Subject.- A life-sketch of King Canda (son of Virasena) in
Gujarāti in verse. Begins.- fol. 10
६॥ भीपरमात्मने नमः॥
दोहा॥ प्रथम धराधिपति प्रथम ॥ तीर्थकर आदेय ॥ प्रथम जिणंद दिणंदसम ॥ नमो नमो नाभेय ॥१॥ अमित कांति अद्भूत शिषा शिरभूषित सोच्छाह ॥ प्रगट्यो पन'द्रह थकी । 'सिंधु'सलिलप्रवाह ॥२॥ क्षुधा सही केवल लही दीधं प्रथम ज मात ॥ जननीवच्छल एम जो ॥ ते जगि जात सुजात ॥३॥ जा[व]स वंश अवतंशसम ॥ प्रभुता युक्ति मुभुक्ति ।। बिलसी मुकुरनिवाससम ॥ बरी वधू जे मू(छ)क्ति ॥४॥ लघु ब(ब)य इछा(छा) इक्षुनी । पारणदिन पिण तेह ॥ मिष्ट इष्ट प्रभुनै सदा ॥ मीठो मंगल एह ।। ५॥ गणधर द्वादश अंगनां । धारक सूत्र कहेब । जंगम नाण तणा जलधि ॥ पुंडरीक प्रणमेव ॥६॥