Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 19
Author(s): Hiralal Rasikdas Kapadia
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 417
________________ Jaina Literaiure and Philosophy (276. 10 . 18 yellow pigment used; a piece of paper of the size of a fol. pasted to fol. 1'; numbers for foll. entered twice as usual ; foll. 11&786 blank; a strip of paper pasted to fol. 78°; both the text and its Gujarati explanation complete; con. dition very good. Age.- Samvat 1850. Author of the com.- Not known. Subject.- The text along with its explanation in Gujarati. Begins.- (text ) fol. 1 || ए ६ ० ॥ श्रीगोडीजी सत्य छ । स श्रेयस्त्रिजगद्ध्येयः श्रीनाभेयस्तनोभु(तु) वः यदुयज्ञं जयत्येषा धर्मकर्मव्यवस्थितिः ॥ १ ॥ etc. दत्ते लक्ष्मीनिदानं यो दानमानंदतः कृती । स धन्य इव धन्यात्मा संपदा जायते पदं ॥ ४ ॥ etc. - (com. ) fol 1° ५ ५0 श्रीपरमात्मने नमः etc. श्रीऋषभस्वामी केहवा छे कल्याणकारी के त्रिण जगतना जीवने ध्यावा योग , etc. ___. आपे लक्ष्मीनु मूल एहवं दान प्रतें जे डाह्यो आनंद थकी ते धनानी परें धन्य छे आत्मा जेहनो एहवो etc. --fol. 13" इति श्री'तपागच्छनायकश्रीपरमगुरुश्रीसोमसुंदरसूरिविनेयश्रीजिनकीर्ति सूरिविरचिते श्रीधन्यचारित्रशालिनि श्रीदानकल्पद्रुम स्वर्णलक्षोपार्जनो नाम प्रथमः पल्लवः ।। , - fol. 18' इति लक्षद्वयार्जनो नाम द्वितीयः पल्लवः ॥ etc. Ends. - (text) fol. 77* (text) आसं 'चंद्र'कुले पूर्व श्रीजगच्चंद्रसूरयः। 'तपाख्यावापि यर्यावज्जीवाचामाम्लकारिभिः ॥२२॥ तदन्वये जगत्ख्यातविशुद्धचरणक्रिया । आसन गुणान्धयः भीमद्देवसुंदरसूरयः ॥ २३ ॥ तत्पट्टे विजयंत भीसोमसुंदरसूरयः। . भाग्यं गुणाः क्रिया येषां रेषाप्राप्तानि जाग्रति ॥२४॥ तत्पदांबुज गेण सूरिभीजिनकीर्तिना । अयं धन्यकथाशाली दानकल्पद्रमः कृतः ॥२५॥ etc..

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