Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 19
Author(s): Hiralal Rasikdas Kapadia
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 383
________________ 348 Jaina Literature and Philosophy [357. 18 ___ Age.- Samvat 1655. Author.- Kalikālasarvajña 'Heinacandra Sári. For details sce p.342. Subject.- The Jaina version of Ramayana and that of Mahabha ___rata. For other details see p. 343. Begins ( set I ).-- fol. 10 ॥ अहे ।। ॐ नमः सर्वज्ञायः ॥ अथ श्रीसुव्रतस्वामि etc. as in No. 261. - fol. 65* इत्याचार्यश्रीहेमचंद्रविरचिते त्रिषष्टिशि()लाकापुरुषचि. (च)रिते महाकाव्ये सप्तमपर्वाण सीताहरणो नाम पंचमसर्गः ॥ fol. 76° इत्याचार्य etc. सीताप्रवृत्यानयनो नाम पष्टसर्गः ।। fol. 87° इत्याचार्य etc. रावणवधो नाम सप्तमः । सर्गः ॥ - fol. 96% इत्याचार्य etc. सीतापरित्यागो नामाष्टमसर्गः।। - fol. 102' इत्याचार्य etc. सीताशुद्धिव्रतग्रहणे नाम नवमसर्ग । -' fol. 109" इत्याचार्य etc. रामनिर्वाणगमनो नाम दशमसर्ग। - fol. 112° इत्याचार्य etc. नेमिनाथचरितवर्णनो नामैकादशः सर्गः। Ends ( set I ).- fol. 113 चक्रभृत्वे पुनरु( र )टौ सहस्राणि शताष्टकं । पंचासम्ब(३) व्रतकाल पुनः सढे शते त्रयं ॥ ३१ वर्षायतायुः परिपाल्य सम्यक तीव्रव्रतं घातितघातिका उत्केवलज्ञान इयाय नित्य . शुषं पदं तद् धरिषेणचक्री ॥ ३२ । इत्याचार्यश्रीहेमचंद्रविरचिते त्रिषष्ट(ष्टि)शलाकापुरुषचत्री(रि)ते मा(महाकाव्ये सप्तमपर्वणि हरिषेणचक्रवर्तिचरितवर्णनो नाम द्वादशसर्गः। Then follow.17 verses and a portion of the 18th. । -- fol. 113° the Ist verse :--- नामे भगवतस्तीर्थे समुत्पन्नस्य चक्रि या। जयस्य जयिनः पुण्यचरित्रमदमुच्यते ॥१॥ etc.. -- fol, 1136 the last verse :-. __ लतश्वासायिसिधुराम इवापुरः।। 'वैताट्या'द्रिकमारंच सुरं मुरबरोपमा ॥ १७॥ स्पेड 20

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