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साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ महनीय शैक्षणिक सेवायें -
पं. दयाचंद्र साहित्याचार्य ने गणेश दि. जैन संस्कृत महाविद्यालय सागर में एक सफल कर्मठ अध्यापक से लेकर प्राचार्य पद तक की महनीय सेवायें 1951 से 2005 तक सम्पन्न की। वर्ष 2001 में पण्डित जी को 51000/- (इक्यावन हजार) की नगद राशि से संस्थागत सम्मानित कर "विद्वतरत्न" की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। इसी वर्ष से पण्डित जी ने अपने वेतन का त्याग कर आजीवन नि:शुल्क सेवा करने का संकल्प लिया तथा जनवरी 2006 तक नि:स्वार्थ सेवा करते रहे । आप आज भी इस उम्र में खड़े होकर नित्यमह पूजन अभिषेक करते थे जो आदर्श एवं अनुकरणीय है। शैक्षणिक एवं समाजगत पुरस्कार -
वीर निर्वाण संवत् 2507 में श्री दि. जैन बड़ा मंदिर कूचा सेठ दिल्ली द्वारा चाँदी पत्र पर "धर्म दिवाकर की उपाधि प्राप्त हुई।" सन् 1990 में "जैन पूजा काव्य" विषय पर डॉ. सर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर द्वारा पीएच.डी की उपाधि, सन् 1981 में भारतीय दि. जैन श्राविकाश्रम सोलापुर (महाराष्ट्र) परिषद् से प्राप्त “साहित्य भूषण" उपाधि प्राप्त हुई । वर्ष 2001 में ऋषभ देव तीर्थंकर विद्वत महासंघ राष्ट्रीय पुरस्कार पू. गणिनी शिरोमणि आर्यिका ज्ञानमती माता जी के शुभाशीष से सम्मानित । वर्ष 2004 में श्रुत संवर्धन पुरस्कार 31000/- की नगद राशि स्मृति चिह्न, शाल, श्रीफल आदि से पूज्य उपाध्याय 108 ज्ञानसागर जी के सानिध्य में श्री अतिशय क्षेत्र तिजारा जी में सम्मानित । अन्य प्रासंगिक तथा समाजगत पुरस्कार एवं उपाधियों से साहित्याचार्य जी का जीवन सुवासित तथा अलंकृत था, वर्ष 1993 में अ.भा. विद्वत शिक्षण प्रशिक्षण शिविर के सफल कुलपति पद पर विभूषित कर रहे । समाजगत सम्मान एवं धर्म प्रभावना -
पं. जी 1952 से 2001 तक भारत वर्ष के विभिन्न शहरों में आमंत्रित होकर “पर्युषण पर्व' में प्रवचन हेतु गये तथा धर्म प्रभावना कर स्वयं सम्मानित होकर महाविद्यालय को भी काफी आर्थिक सहयोग दान स्वरूपव प्रदान किया। अनेक धार्मिक अनुष्ठानों में भी आपने काफी धर्म प्रभावना की। अनेक राष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठियों तथा धर्म सभाओं का कुशल संचालन किया । आपने सर्व धर्म सम्मलेन में भी भाग लिया। आपकी प्रभावना पूर्ण सेवाओं का सदैव स्मरण किया जायेगा । आपका धार्मिक जीवन अनुशासन से परिपूर्ण तथा प्रभावना पूर्ण रहा है। लेखनकार्य एवं सम्पादन -
वर्ष 1970 से 1998 तक आपकी प्रकाशित एवं सम्पादित रचनाओं में प्रमुख हैं - जैन पूजा काव्य एक चिंतन, चतुर्विशति संधान महाकाव्य (सम्पादित) पं. मुन्नालाल जी वर्णी रांधेलीय स्मृति ग्रन्थ (सम्पादन) भगवान महावीर मुक्तक स्तवन, पू. वर्णी जी का संक्षिप्त परिचय, "धर्म राजनीति में समन्वय' “विश्व तत्व प्रकाशक स्याद्वादः" अनेक धार्मिक शोधपूर्ण आलेख, अमर भारती 1-2-3 भाग व्याकरण सम्मत कृतियाँ (अप्रकाशित) अन्य प्रकाशित आलेखों की संख्या अभिनंदनीय है।
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