Book Title: Chausaran Painnayam
Author(s): Suresh Sisodiya, Manmal Kudal
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ 10 : चउसरणपइण्णयं प्राचीन भी है। यद्यपि यह अर्द्धमागधी आगम साहित्य महावीर के काल से लेकर वीर निर्वाण संवत् 980 या 993 की वलभी की वाचना तक लगभग एक हजार वर्ष की सुदीर्घ अवधि में अनेक बार संकलित और सम्पादित होता रहा है। अतः इस अवधि में उसमें कुछ संशोधन, परिवर्तन और परिवर्धन भी हुआ है और उसका कुछ अंश काल कवलित भी हो गया है। प्राचीन काल में यह अर्द्धमागधी आगम साहित्य अंगप्रविष्ट और अंग बाह्य ऐसे दो विभागों में विभाजित किया जाता था। अंगप्रविष्ट में ग्यारह अंग आगमों और बारहवें दृष्टिवाद को समाहित किया जाता था। जबकि अंगबाह्य में इनके अतिरिक्त वे सभी आगम ग्रंथ समाहित किये जाते थे, जो श्रुतकेवली एवं पूर्वधर स्थविरों द्वारा रचित माने जाते थे। पुनः अंगबाह्य आगम साहित्य को नन्दीसूत्र में आवश्यक और आवश्यक व्यतिरिक्त ऐसे दो भागों में विभाजित किया गया है। आवश्यक व्यतिरिक्त के भी पुनः कालिक और उत्कालिक ऐसे दो विभाग किये गये हैं। नन्दोसूत्र का यह वर्गीकरण निम्नानुसार है श्रुत ( आगम ). अंगप्रविष्ट अंगबाह्य आचारांग आवश्यक आवश्यक व्यतिरिक्त सूत्रकृतांग स्थानांग सामायिक समवायांग चतुर्विंशतिस्तव व्याख्याप्रज्ञप्ति वन्दना ज्ञाताधर्मकथांग प्रतिक्रमण उपासकदशांग कायोत्सर्ग अन्तकृतदशांग प्रत्याख्यान अनुत्तरौपपातिकदशांग प्रश्नव्याकरण विपाकसूत्र दृष्टिवाद 1. नन्दीसूत्र- सं. मुनि मधुकर, सूत्र 73,79-81

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74