Book Title: Chausaran Painnayam
Author(s): Suresh Sisodiya, Manmal Kudal
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 15
________________ 14 : चउसरणपइण्णयं 8. गणिविद्या 9. देवेन्द्रस्तव और 10. मरणसमाधि।' ' इन दस प्रकीर्णकों के नामों में भी भिन्नता देखी जा सकती है। कुछ ग्रन्थों में गच्छाचार और मरणसमाधि के स्थान पर चन्द्रवैद्यक और वीरस्तव को गिना गया है। कहीं भक्तपरिज्ञा को नहीं गिनकर चन्द्रवैद्यक को गिना गया है। इनके अतिरिक्त एक ही नाम के एकाधिक प्रकीर्णक भी उपलब्ध होते हैं। यथाआउरपच्चक्खाण (आतुरप्रत्याख्यान) नाम से तीन तथा चतुःशरण नाम से दो प्रकीर्णक उपलब्ध हैं। ___दस प्रकीर्णकों को श्वेताम्बर मूर्तिपूजक सम्प्रदाय आगमों की श्रेणी में मानता है। मुनि श्री पुण्यविजयजी के अनुसार प्रकीर्णक नाम से अभिहित इन ग्रन्थों का संग्रह किया जाय तो निम्न बाईस नाम प्राप्त होते हैं : 1.चतुःशरण 2. आतुरप्रत्याख्यान 3. भक्तपरिज्ञा 4. संस्तारक 5. देवेन्द्रस्तव 6. तन्दुलवैचारिक 7. चन्द्रकवैद्यक 8. गणिविद्या 9. महाप्रत्याख्यान 10. वीरस्तव 11. ऋषिभाषित 12. जीवकल्प 13. गच्छाचार 14. मरणसमाधि 1 5. तित्थोगाली 16. आराधनापताका 17. द्वीपसागरप्रज्ञप्ति 18. ज्योतिषकरण्डक 19. अंगविद्या 20. सिद्धप्राभृत 21. सारावली और 22. जीवविभक्ति। 1.(क) प्राकृत भाषा और साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास, डॉ. नेमीचन्द शास्त्री, पृष्ठ 197 (ख) जैन आगम साहित्य मनन और मीमांसा, देवेन्द्रमुनि शास्त्री, पृष्ठ 388 (ग) आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन, मुनि नगराज, पृष्ठ 86 2.पइण्णयसुत्ताई, भाग-1, प्रस्तावना पृष्ठ 20 3.उदृत-अभिधान राजेन्द्र कोष, भाग-2, पृष्ठ 41 4.पइण्णयसुत्ताई, भाग-1, प्रस्तावना पृष्ठ 18-19

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