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स्तवनावली.
केसरियाजी जेटीया घुलेवा मंगनरायरे हांहांरे वाला जव्यकरम परजालवा वेग तुमे ध्यान लगायरे ॥ १ ॥ दांहांरे वाला वासर एतले न जाणीयो तुमे तारणतरणजिहांजरे हांहांरे वाला जुलना दिनी मादरी । अव जांगी दिनदयालरे ॥ २ ॥ दांदांरे वाला चौगति चौटे नाचियो शांग धारी नवनवनाथरे । हांहांरे वाला जव नाटक मे नाचतां प्रभु काढो अनंतो का - लरे ॥ ३ ॥ हांहांरे वाला मोटे पुन्ये पामीयो । एह मानवनो ताररे। हांहांरे वाला गाम नगर पुर ढुंढतां तुं मिलियो धुलेवामांहीरे ॥ ४ ॥ हांदारे वाला घ्याज मनोरथ सवीफला माहरो जवनाटक गयोडररे । हांहांरे वाला उबवरंगवधामणा थया वीरजय जरपुररे ॥ ५ ॥ ॥ इति समाप्तं ॥
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