Book Title: Chaturvinshati Jinstavan
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Jain Shastramala Karyalay

View full book text
Previous | Next

Page 199
________________ १७६ श्रीमद्दीरविजयोपाध्यायकृत, श्रातम लक्ष्मी के दास ॥ चा ॥ १० ॥ इती गुहली समाप्ता ॥ ॥ अथ गुरु गुण गुंदली ॥ जिला ऊरमर वरसे मेह जिंजे मारी सुंदकली ॥ एदेशी ॥ सखी अंतरगतनी वात सुण सोजागीरे । गुरु गुणगावाने आज मुनेरढ लागीरे ॥ कणी ॥ धन गुरु दाता ने धन गुरुदेवा । विजय आनंदसूरि रायरे । धन तेढ़ना परिवारनेरे कांई । लली लली लागुं पाय गुरु उपगारीरे । देश शुद्ध धरम उपदेशडुनियां तारिरे | सखी ॥ १ ॥ पंचमहाव्रतलदी करिरे । पामी गुरु आदेसरे । पंजाबदेशपावन कीयो गुरु । पुरी मननीटेक पुरण प्रीतेंरे । कीयो ढुंढकनो उबेद यागमरीतेरे ॥ सखी ॥ २ ॥ मरुधर मालव देश मांरे । मुनि मंगलनी साथरे । मधुरी वाणीये गाजतारे कांइ । करता बहु उप QUE

Loading...

Page Navigation
1 ... 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216