Book Title: Chaturvinshati Jinstavan Author(s): Atmaramji Maharaj Publisher: Jain Shastramala Karyalay View full book textPage 212
________________ पृष्ट पंक्ति १२ शुद्धिपत्र. शुद्धिपत्र. अशुप गह्यो तिमिर मोह कपाय क यात धीया मंग यारा त्रिनवन तजत चरणां वाणी जिनसेव्यो मान धर शुष्प ग्रह्यो मोहतिमिर कपायके अति दीया मन प्यारा त्रिभुवन १५ तजे १ए चरणा वाणी जिनसेव्यां शान धरी चूरणि तणा १५ तने मोख मेगणा अपेद फस्यो मोहि मोद मेंगणा अखेद १० फस्यो मोहेPage Navigation
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