Book Title: Chaturvinshati Jinstavan
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Jain Shastramala Karyalay

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Page 208
________________ स्तवनावली. ... २०५ अथ श्रीगंधार मंडन श्रीचिन्ता मणिपार्श्वजिनस्तवनम् ॥ मेरेतो चिन्तामणिप्रनुपाशजीका काम हैजी ॥ ए श्रांकणी ॥ जलधी किनारे नारा, नगर गंधार सारा; चिंतामणि पाश प्रजुका, उहां बमा धाम है जी. ॥ मे ॥१॥ मूरति प्रजुकी मीठी, ऐसी बवी नाही दीठी॥शान्तसुधारस केरा, मानु एक गम हैजी. ॥ मे ॥२॥ युषमकालमे स्वामी, दुःखकी है नाही खामी ॥ आनंद समाधि दीजे, मुजे बनी हाम हैजी ॥ मे ॥३॥ अखूट खजाना तेरा, थोमा बहोत करदो मेरा; दुःखी जनकुं देना वेतो, प्रजु तोरा काम हैजी ॥ मे० ॥४॥ बिरूद संजाल लीजे, मेरा तेरा नाही कीजे ॥ तरण तारण ऐसा, प्रनु तोरा नाम हैजी ॥ मे ॥ ५॥ वीर कहे सीरनामी, सुनो हो गंधार स्वामी ॥ १८

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