Book Title: Chaturvinshati Jinstavan
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Jain Shastramala Karyalay

View full book text
Previous | Next

Page 206
________________ स्तवनावली. २०३ वर्षे आनंदा | ॥ ए॥ उंगणिसें माघकृष्ण द्वितीयानंदा ॥ मति ॥ १० ॥ वीर विजयक हे पाश जिणंदा | जेटीजयापरमाणंदा ॥ मति ॥ ११ ॥ इतिसमाप्तं ॥ ॥ अथ अजित जिनस्तवन ॥ अखियांत फरही मेरी आजके । दरिशणदेवदीजे । खियांशांतकीजे ॥ १ ॥ श्रखिया विनदरिश जिनराजके । सुरकुरपानीवरसे । दरिशणखासतरसे ॥२॥ अखियां कालानंतेबादके । तुमबबी श्राजदेखे । सवजयेकाजलेखे ॥ ३ ॥ अखीयांसफलजयी मेरीयाज । अजीत जिनराज़नेटे । सबही पापमेटे ॥ ४ ॥ श्ररजीवीर विजय की एह | अजीत जिनराज लीजे । शीवपुरराजदीजे ॥ ५ ॥ इतिसंपूर्ण ॥ B

Loading...

Page Navigation
1 ... 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216