Book Title: Chaturvinshati Jinstavan
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Jain Shastramala Karyalay
View full book text
________________
१ए४
श्रीमदीरविजयोपाध्याय कृत,
~
दरबार । चउगती चूरण साथियो पुरतारे । गावता गुंहली गीत रसाल ॥ हुँ ॥६॥ गुरुजीना चरणकमलनी उपरेरे। नमरपरे मुनिगणनो वृंद । लेता सद्गुण रुमी वासनारे । देता वीरविजयने आणंद ॥ हुँ ॥ ७॥ इति समाता॥
॥ अथ गुदली॥ सुनोरे सखी एक वीनतीरे । आज आनंद अपार चालो वंदन चलिये ॥ श्रांकणी॥गाम नगर पुर विचरंतारे। बहु शिष्यने परिवार ॥ चा ॥१॥ अनुक्रम
आवी बिराजीयारे । राजनगर केमोकार ॥ च ॥ आतमराम आनंद विजेजी । अनुपम नाम रसाल ॥ च ॥॥ पठन करावता -शिष्यनेरे । ज्ञान ध्यान एकतान ॥ चा॥ ज्ञान क्रिया करी शोजतारे। ए गुरु गुण मणीमाल ॥ चा ॥३॥ मधुरी दिये गुरु देशनारे । नव नय जं

Page Navigation
1 ... 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216