Book Title: Bruhad Dharana Yantra
Author(s): Darshanvijay
Publisher: Charitra Smarak Granthmala

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Page 12
________________ श्रीवृहद् धारणायंत्र। नक्षत्रयंत्रः अंक नक्षल । भक्षरः । योनिः योनिवरं तारा गया: नाही | पुजि १ सर्प पूर्वयोगी श्वान ло » बिडाल my ver, Ur देव NP व्याघ्र भधिनी चु चे चोक्षा भव | महिष २ | भरणी लि लु ले लो | हस्ति सिंह . ३ | कृतिका | भइ उ ए ! भज भजवानर रोहिणी श्रो वा वि वु नकुल ५ । मृगशिर्ष वे वो क कि नकुल | भाद्रा कु घ छ हरिण पुनर्वसु के को ह हि उंदिर पुष्य हु हे हो डा प्रज वानर अश्लेषा डि डु डे डो बिडाल उंदिर मधा म मि मु मे उंदिर बिडाल पू. फा. मो ट टि टु उंदिर | बिडाल | उ. फा. टे टो प पि व्यान पुष ण ठ महिष प्रश्व चिला पे पो र रि करे रो ता महिष विशाखा ति तु ते तो व्याघ्र अनुराधा न नि नु ने हरिया স্বান जेष्ठा नो य यि यु । हरिया श्वान ये यो भ मि हरिण पूर्वाषाढा मुघ कद वानर प्रज उ. प. मे भो ज जि नकुन्न २२ । अभिजित् । जु जे जो खा सर्प श्रवण खि खु खे खो । वानर मज धनिष्ठा ग गि गुगे इस्ति शतभिषा गो स सि सु अश्व पू. भा. से सो द दि सिंह हस्ति उ. भा, दु श भथ व्यान २८ रेवती . दे दो च चि: इस्ति सिंह देव भाग मनुष्य मध्य अंत्य मनुष्य अंत्य मध्य मनुष्य पाय प्राय मध्य राक्षस अंत्य राक्षस अंत्य मनुष्य मध्य मनुष्य प्राध देव माद्य राक्षस मध्य देव अंत्य राक्षस अंत्य मध्य राक्षस भाद्य राक्षस भाब मनुष्य मध्य मनुष्य अंत्य विद्याधर . देव राक्षस । मध्य राक्षस भाद्य मनुष्य प्राध मनुष्य । मध्य देव अंत्य मध्यमयोगी स्वाति * and NMMCK Rana श्वान सर्प पमिमयोगी » अंत्य » » » Á •

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